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  • Create Date October 7, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की स्तुति करता है। यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी को ललिता नामक एक शक्तिशाली रूप में प्रकट करता है।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् की रचना 12वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक वल्लभाचार्य ने की थी। यह स्तोत्र वल्लभाचार्य के भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:

ललिता श्री महालक्ष्मी, लक्ष्मी रमा च पद्मिनी। कमला सम्पदीशा च, पद्मालयेन्दिरेश्वरी।

इस स्तोत्र में, भक्त देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करें।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह उठकर या रात को सोने से पहले होता है। इस स्तोत्र को पढ़ने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है, लेकिन इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक पढ़ना चाहिए।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • यह एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है।
  • यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी को ललिता नामक एक शक्तिशाली रूप में प्रकट करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने में मदद करता है।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से लाभ होता है। यह स्तोत्र उन्हें सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने में मदद करता है।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है।
  • भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् का पाठ नियमित रूप से करने से भक्तों को इन सभी लाभों की प्राप्ति होती है।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् का एक लोकप्रिय संस्करण है जो निम्नलिखित है:

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम्

श्रीमहालक्ष्मी ललिता, लक्ष्मी रमा च पद्मिनी। कमला सम्पदीशा च, पद्मालयेन्दिरेश्वरी।

परमेशी सती ब्राह्मी, नारायणी च वैष्णवी। परमेश्वरी महेशानी, शक्तिशा पुरुषोत्तमी।

बिम्बी माया महा-माया, मूल-प्रकृतिरच्युती। वासुदेवी हिरण्या च हरिणी च हिरण्मयी।

श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी, त्रिपुरासुंदरी भवानी। त्रिपुरा सुंदरी त्रिपुरेश्वरी, त्रिपुरा सुंदरी च त्रिपुरेश्वरी।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता, सर्वदेवमयी देवी। सर्वकामार्थसिद्धिदा, मम सर्वेष्टसिद्धिदा।

इति श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् समाप्त।

इस स्तोत्र में, देवी लक्ष्मी को 30 नामों से संबोधित किया गया है। इन नामों में से प्रत्येक देवी लक्ष्मी के एक विशेष गुण या शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

श्रीमहालक्ष्मी ललिता स्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने में मदद करता है।


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