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  • Create Date October 7, 2023
  • Last Updated October 7, 2023

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की स्तुति करता है। यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी को सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य की देवी के रूप में प्रकट करता है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः की रचना 12वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक वल्लभाचार्य ने की थी। यह स्तोत्र वल्लभाचार्य के भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:

श्रीमहालक्ष्मी देवी, तुम समृद्धि और सौभाग्य की देवी हो। तुम हमारे जीवन में सुख और शांति लाती हो। तुम हमें सभी कष्टों से मुक्त करती हो। तुम हमें अपने आशीर्वाद से भर देती हो।

इस स्तोत्र में, भक्त देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करें।

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह उठकर या रात को सोने से पहले होता है। इस स्तोत्र को पढ़ने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है, लेकिन इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक पढ़ना चाहिए।

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • यह एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है।
  • यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी को सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य की देवी के रूप में प्रकट करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने में मदद करता है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से लाभ होता है। यह स्तोत्र उन्हें सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने में मदद करता है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है।
  • भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तवः का पाठ नियमित रूप से करने से भक्तों को इन सभी लाभों की प्राप्ति होती है।


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