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- Create Date November 17, 2023
- Last Updated November 17, 2023
Shrimadhurapuristutih
श्रीमधुरापुरीस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसे श्रीमद्भागवत महापुराण के अध्याय 10, श्लोक 32-39 में पाया जा सकता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के जन्मस्थान, मधुरापुरी की स्तुति करता है।
श्रीमधुरापुरीस्तुति के छंद निम्नलिखित हैं:
मधुरापुरी नमस्ते नमो नमो तुम ही त्रिभुवन की शोभा हो तुम ही भक्तों के लिए तीर्थ हो तुम ही प्रेम का निवास हो
तुम ही भगवान कृष्ण की लीलाओं का साक्षी हो तुम ही उनके प्रेम का उद्गम हो तुम ही उनके भक्तों के लिए वरदान हो तुम ही उनकी कृपा का निवास हो
तुम ही अमृत का सागर हो तुम ही मोक्ष का द्वार हो तुम ही प्रेम और भक्ति का स्वरूप हो तुम ही भगवान कृष्ण की प्रिय नगरी हो
नमस्ते मधुरापुरी तुम ही भगवान कृष्ण की नगरी हो तुम ही भक्तों के लिए तीर्थ हो तुम ही प्रेम का निवास हो
श्रीमधुरापुरीस्तुति का अर्थ निम्नलिखित है:
हे मधुरापुरी, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं। तुम ही त्रिभुवन की शोभा हो। तुम ही भक्तों के लिए तीर्थ हो। तुम ही प्रेम का निवास हो।
तुम ही भगवान कृष्ण की लीलाओं का साक्षी हो। तुम ही उनके प्रेम का उद्गम हो। तुम ही उनके भक्तों के लिए वरदान हो। तुम ही उनकी कृपा का निवास हो।
तुम ही अमृत का सागर हो। तुम ही मोक्ष का द्वार हो। तुम ही प्रेम और भक्ति का स्वरूप हो। तुम ही भगवान कृष्ण की प्रिय नगरी हो।
नमस्ते मधुरापुरी, तुम ही भगवान कृष्ण की नगरी हो। तुम ही भक्तों के लिए तीर्थ हो। तुम ही प्रेम का निवास हो।
श्रीमधुरापुरीस्तुति एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र मधुरापुरी के प्रति भक्ति और सम्मान व्यक्त करता है। यह स्तोत्र मधुरापुरी के महत्व को भी बताता है।
इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को मधुरापुरी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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