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  • Create Date November 7, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

Sribhavanichandrasekharstotram

श्रीभावानीचंद्रशेखरस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक भगवान शिव और पार्वती के एक अलग गुण या पहलू की प्रशंसा करता है।

श्लोक 1 इस प्रकार है:

श्रीभावानीचंद्रशेखरं त्रिलोचनं त्रिशूलधारिं | वराभयं वरदं तं भवभयहरं नमामि ||

अनुवाद:

मैं उस शिव को नमन करता हूँ, जो भावानीचंद्रशेखर हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो त्रिशूल धारण करते हैं, जो वर और अभयमुद्रा में हैं, और जो भवभय को हरने वाले हैं।

श्लोक 1 में, भगवान शिव को उनके तीन नेत्रों, त्रिशूल, वर और अभयमुद्रा, और भवभय को हरने की शक्ति के लिए स्तुति की जाती है।

श्लोक 1 का अर्थ इस प्रकार है:

  • श्रीभावानीचंद्रशेखर: यह भगवान शिव का एक नाम है, जो उनकी पत्नी पार्वती के साथ उनका एक रूप है।
  • त्रिलोचन: भगवान शिव के तीन नेत्र हैं, जो ज्ञान, क्रिया और भक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • त्रिशूलधारिं: भगवान शिव त्रिशूल धारण करते हैं, जो उनके शक्ति का प्रतीक है।
  • वराभयं वरदं: भगवान शिव वर और अभयमुद्रा में हैं, जो उनके कृपा और दयालुता का प्रतीक है।
  • भवभयहरं: भगवान शिव भवभय को हरने वाले हैं, जो जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को संदर्भित करता है।

Sribhavanichandrasekharstotram

श्रीभावानीचंद्रशेखरस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव और पार्वती की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जो अपने जीवन में शांति, ज्ञान, शक्ति और प्रेम की तलाश में हैं।

स्तोत्र के अन्य श्लोकों में, भगवान शिव और पार्वती के अन्य गुणों और पहलुओं की प्रशंसा की जाती है।

श्लोक 2: भगवान शिव और पार्वती को प्रेम और करुणा के अवतार के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 3: भगवान शिव को ब्रह्मांड के सृजन, पालन और संहार के देवता के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 4: भगवान शिव और पार्वती को सभी प्राणियों के रक्षक के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 5: भगवान शिव और पार्वती को ज्ञान और प्रकाश के स्रोत के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 6: भगवान शिव और पार्वती को भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करने वाले के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 7: भगवान शिव और पार्वती को मोक्ष के मार्गदर्शक के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 8: भगवान शिव और पार्वती को समस्त ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 9: भगवान शिव और पार्वती को एकता और प्रेम के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है।

श्लोक 10: भगवान शिव और पार्वती को भक्तों के आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक शक्ति और मार्गदर्शन प्रदान करने वाले के रूप में दर्शाया गया है।

अपरो द्वादशाक्षरो मृत्युञ्जयः Aparo Dvadashaksharo Mrityunjayah


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