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  • Create Date October 16, 2023
  • Last Updated October 16, 2023

श्रीपुरुषोत्तममाहात्म्यम् एक संस्कृत ग्रंथ है जो भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की महिमा का वर्णन करता है। यह ग्रंथ 11वीं शताब्दी के भक्त कवि, श्री जयदेव द्वारा रचित है।

श्रीपुरुषोत्तममाहात्म्यम् में, श्री जयदेव भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु पुरुषोत्तम में निवास करते हैं, और वे सभी जीवों के लिए एक आशीर्वाद हैं।

श्रीपुरुषोत्तममाहात्म्यम् के श्लोक:**

1. हे पुरुषोत्तम, आप भगवान विष्णु के अवतार हैं। आप पुरुषोत्तम में निवास करते हैं, और सभी जीवों के लिए एक आशीर्वाद हैं।

2. आपके बाल काले और घने हैं, और आपकी आँखें नीलमणि की तरह चमकती हैं। आपके गाल गुलाब की तरह लाल हैं, और आपकी मुस्कान अमृत के समान है।

3. आपके हाथ और पैर सुंदर और सुडौल हैं, और आपके शरीर में एक अद्भुत आकर्षण है। आप हमेशा आनंदित रहते हैं, और आपके चेहरे पर एक निरंतर मुस्कान रहती है।

4. आप सभी जीवों के लिए एक आशीर्वाद हैं, और आप सभी के दिलों में बसते हैं। मैं आपकी शरण में आता हूँ, और आपकी कृपा से मोक्ष प्राप्त करना चाहता हूँ।

5. हे पुरुषोत्तम, आप ही मेरे भगवान हैं। मैं आपकी कृपा से मोक्ष प्राप्त करूँ, और आपकी चरणों में निवास करूँ।

श्रीपुरुषोत्तममाहात्म्यम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का अर्थ:**

  • पहला श्लोक: इस श्लोक में, श्री जयदेव भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की पहचान करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु पुरुषोत्तम में निवास करते हैं, और वे सभी जीवों के लिए एक आशीर्वाद हैं।
  • दूसरा श्लोक: इस श्लोक में, श्री जयदेव भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की सुंदरता का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु के बाल काले और घने हैं, और उनकी आँखें नीलमणि की तरह चमकती हैं।
  • तीसरा श्लोक: इस श्लोक में, श्री जयदेव भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की आकर्षण का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु के गाल गुलाब की तरह लाल हैं, और उनकी मुस्कान अमृत के समान है।
  • चौथा श्लोक: इस श्लोक में, श्री जयदेव भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की करुणा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु सभी जीवों के लिए एक आशीर्वाद हैं, और वे सभी के दिलों में बसते हैं।
  • पाँचवाँ श्लोक: इस श्लोक में, श्री जयदेव भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की महिमा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु ही पूर्ण परमात्मा हैं, और वे सभी जीवों के लिए एक आशीर्वाद हैं।

श्रीपुरुषोत्तममाहात्म्यम् एक शक्तिशाली ग्रंथ है जो भक्तों को भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप में निमग्न होने में मदद कर सकती है। यह भक्तों को प्रेम, आनंद और मोक्ष की प्राप्ति में मदद कर सकती है।

श्रीपुरुषोत्तममाहात्म्यम् के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं में शामिल हैं:**

  • यह ग्रंथ भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह ग्रंथ भक्तों को भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप में निमग्न होने में मदद करता है।
  • **यह ग्रंथ भक्तों को प्रेम

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