• Version
  • Download 4733
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 10, 2023
  • Last Updated October 10, 2023

श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी पार्वती की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के कवि और संत, श्रीपदाचार्य द्वारा लिखा गया था।

श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली के 108 श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक में देवी पार्वती के एक अलग गुण या रूप का वर्णन किया गया है।

श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली का पहला श्लोक इस प्रकार है:

नमस्तेऽस्तु पर्वतजायै सकलशत्रुविनाशिनी । सर्वसौभाग्यदायिनी सर्वसिद्धिप्रदायिनी ॥ १ ॥

इस श्लोक में, श्रीपदाचार्य देवी पार्वती को "पर्वतजा" कहते हैं, जिसका अर्थ है "पर्वत की बेटी"। वे कहते हैं कि देवी पार्वती सभी शत्रुओं का नाश करने वाली हैं और वे सभी सुखों और सिद्धियों की दाता हैं।

श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली के 108 श्लोकों का अर्थ है:

  • श्लोक 1: देवी पार्वती को नमस्कार।
  • श्लोक 2: देवी पार्वती को सभी शत्रुओं का नाश करने वाली कहा गया है।
  • श्लोक 3: देवी पार्वती को सभी सुखों और सिद्धियों की दाता कहा गया है।
  • श्लोक 4: देवी पार्वती को ज्ञान और विवेक की दाता कहा गया है।
  • श्लोक 5: देवी पार्वती को करुणा और दया के सागर कहा गया है।
  • श्लोक 6: देवी पार्वती को भक्तों के रक्षक कहा गया है।
  • श्लोक 7: देवी पार्वती की पूजा और आराधना का महत्व।
  • श्लोक 8: देवी पार्वती की कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ।
  • श्लोक 9: देवी पार्वती की स्तुति के लिए एक प्रार्थना।

श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली एक शक्तिशाली भक्ति भजन है जो भक्तों के दिलों में देवी पार्वती के लिए प्रेम और भक्ति को जगा सकता है। यह भजन देवी पार्वती की महिमा और गुणों को दर्शाता है।

श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली के 108 श्लोकों का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

  1. हे देवी पार्वती, आपको नमस्कार।
  2. आप सभी शत्रुओं का नाश करने वाली हैं।
  3. आप सभी सुखों और सिद्धियों की दाता हैं।
  4. आप ज्ञान और विवेक की दाता हैं।
  5. आप करुणा और दया के सागर हैं।
  6. आप भक्तों के रक्षक हैं।
  7. आपकी पूजा और आराधना करना सभी के लिए लाभदायक है।
  8. आपकी कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  9. हे देवी पार्वती, आपकी स्तुति करने के लिए हमें शक्ति दें।

श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली एक लोकप्रिय स्तोत्र है जिसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों के दौरान पढ़ा जाता है। यह भजन भक्तों को देवी पार्वती की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

यहां श्रीपर्वत्याष्टोत्तराशतनामावली का एक उदाहरण है:

नमस्तेऽस्तु पर्वतजायै सकलशत्रुविनाशिनी ।

इस श्लोक का अर्थ है:

हे देवी पार्वती, आपको नमस्कार। आप पर्वत की बेटी हैं, और आप सभी शत्रुओं का नाश करने वाली हैं।

यह श्लोक देवी पार्वती के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन करता है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *