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- Create Date November 14, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Sriparmeshwarstotram 2
श्रीपरमेश्वरस्तोत्रम् द्वितीयम्
अर्थ:
परमात्मा ही सबका स्वामी है, सबका पिता है, सबका माता है, सबका गुरु है। वह सबके अंदर और बाहर विद्यमान है। वह अजन्मा, अविनाशी, निराकार, निर्विकार, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापी है। वह परम सत्य है, परम आनंद है, परम शांति है।
परमात्मा ही सृष्टि, पालन और संहार का कारण है। वह ही समस्त ब्रह्मांड का संचालन करता है। वह ही सभी जीवों का उद्धार करता है।
परमात्मा ही भक्तों का सर्वस्व है। जो भक्त परमात्मा में श्रद्धा और भक्ति रखता है, उसे परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है।
परमात्मा की महिमा अपरंपार है। वह अनादि, अनंत और अद्वितीय है।
श्रीपरमेश्वरस्तोत्रम् द्वितीयम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो परमात्मा की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को परमात्मा के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
Sriparmeshwarstotram 2
श्रीपरमेश्वरस्तोत्रम् द्वितीयम् के पाठ का लाभ:
- यह स्तोत्र भक्तों को परमात्मा के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ाता है।
- यह स्तोत्र भक्तों को परमात्मा की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
- यह स्तोत्र भक्तों के सभी कष्टों को दूर करता है और उन्हें सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
श्रीपरमेश्वरस्तोत्रम् द्वितीयम् का पाठ कैसे करें:
- इस स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन, किसी भी समय किया जा सकता है।
- इस स्तोत्र का पाठ करते समय, परमात्मा का ध्यान करना चाहिए।
- इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले, परमात्मा को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए।
- इस स्तोत्र का पाठ करने के बाद, परमात्मा को फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करना चाहिए।
श्रीपरमेश्वरस्तोत्रम् द्वितीयम् का पाठ करने से भक्तों को परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है। इससे भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रीभवबन्धविमोचनशिवस्तुतिः Shribhavabandhavimochanashivastutih
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