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  • Create Date November 8, 2023
  • Last Updated November 8, 2023

Shreenatheshstutih

श्रीनाथेशस्तुतिः एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के लिंग रूप की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक लिंग के एक विशेष गुण या स्वरूप की प्रशंसा करता है।

श्लोक 1:

नमस्ते लिंगरूपाय नमस्ते रुद्रवाहन । नमस्ते नमस्ते त्रिलोचन सर्वेश्वर नमस्ते ॥ १ ॥

अर्थ:

हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, हे त्रिलोचन, हे सर्वेश्वर, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 2:

सृष्टिकर्ता पालककर्ता संहारकर्ता च । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ २ ॥

अर्थ:

सृष्टिकर्ता, पालककर्ता, और संहारकर्ता, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 3:

गंगाधर धारी चंद्रशेखर चंद्रसूर्यधर । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ३ ॥

अर्थ:

गंगाधार, चंद्रशेखर, चंद्रसूर्यधर, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 4:

अमृतधाराधर पार्वतीधर कल्पवृक्षधारी । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ४ ॥

अर्थ:

अमृतधाराधर, पार्वतीधर, कल्पवृक्षधारी, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 5:

त्रैलोक्यनाथ सर्वदेवनाथ नमस्ते रुद्रवाहन । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय ॥ ५ ॥

अर्थ:

त्रैलोक्यनाथ, सर्वदेवनाथ, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 6:

भक्तजनोद्दारक भक्तजनोपास्य । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ६ ॥

अर्थ:

भक्तजनों को उद्धार करने वाले, भक्तजनों के आराध्य, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्रीनाथेशस्तुतिः एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के लिंग रूप की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक लिंग के एक विशेष गुण या स्वरूप की प्रशंसा करता है।

श्लोक 1:

नमस्ते लिंगरूपाय नमस्ते रुद्रवाहन । नमस्ते नमस्ते त्रिलोचन सर्वेश्वर नमस्ते ॥ १ ॥

अर्थ:

हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, हे त्रिलोचन, हे सर्वेश्वर, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 2:

सृष्टिकर्ता पालककर्ता संहारकर्ता च । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ २ ॥

अर्थ:

सृष्टिकर्ता, पालककर्ता, और संहारकर्ता, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 3:

गंगाधर धारी चंद्रशेखर चंद्रसूर्यधर । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ३ ॥

अर्थ:

गंगाधार, चंद्रशेखर, चंद्रसूर्यधर, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 4:

अमृतधाराधर पार्वतीधर कल्पवृक्षधारी । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ४ ॥

अर्थ:

अमृतधाराधर, पार्वतीधर, कल्पवृक्षधारी, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 5:

त्रैलोक्यनाथ सर्वदेवनाथ नमस्ते रुद्रवाहन । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय ॥ ५ ॥

अर्थ:

त्रैलोक्यनाथ, सर्वदेवनाथ, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 6:

भक्तजनोद्दारक भक्तजनोपास्य । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ६ ॥

अर्थ:

भक्तजनों को उद्धार करने वाले, भक्तजनों के आराध्य, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 7:

ज्ञानीजनगणपरम पूज्य । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ७ ॥

अर्थ:

ज्ञानीजनों के द्वारा परम पूज्य, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 8:

भयनाशक सर्वविघ्नहारी । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ८ ॥

अर्थ:

भयनाशक, सभी विघ्नों को दूर करने वाले, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 9:

सर्वकामनापूर्ते नमस्ते रुद्रवाहन । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय ॥ ९ ॥

अर्थ:

सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले, हे रुद्र के वाहन, हे लिंगरूप, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 10:

इति श्रीनाथेशस्तुतिः समाप्तः ॥

अर्थ:

इस प्रकार श्रीनाथेशस्तुति समाप्त होती है।

श्रीनाथेशस्तुतिः एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र अक्सर प्रार्थना और ध्यान में किया जाता है।

श्रीनाथेशस्तुतिः के प्रमुख प्रसंग:

  • **स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव की महि

श्लोक 7:

ज्ञानीजनगणपरम पूज्य । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ७ ॥

अर्थ:

ज्ञानीजनों के द्वारा परम पूज्य, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 8:

भयनाशक सर्वविघ्नहारी । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय रुद्रवाहन ॥ ८ ॥

अर्थ:

भयनाशक, सभी विघ्नों को दूर करने वाले, हे लिंगरूप, हे रुद्र के वाहन, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 9:

सर्वकामनापूर्ते नमस्ते रुद्रवाहन । नमस्ते नमस्ते लिंगरूपाय ॥ ९ ॥

अर्थ:

सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले, हे रुद्र के वाहन, हे लिंगरूप, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 10:

इति श्रीनाथेशस्तुतिः समाप्तः ॥

अर्थ:

इस प्रकार श्रीनाथेशस्तुति समाप्त होती है।

श्रीनाथेशस्तुतिः एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र अक्सर प्रार्थना और ध्यान में किया जाता है।

श्रीनाथेशस्तुतिः के प्रमुख प्रसंग:

श्रीनटेश्वर भुजङ्गस्तुतिः Shrinateshwar Bhujangastutih


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