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  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीदुर्गा अपदुद्धारष्टकम् और दुर्गापदुद्धारकस्तोत्रम् दोनों ही हिंदू देवी दुर्गा की स्तुति करने वाले संस्कृत स्तोत्र हैं। ये दोनों स्तोत्र दुर्गा के अपदुद्धार रूप की स्तुति करते हैं, जो सभी कष्टों और परेशानियों को दूर करने वाली हैं।

श्रीदुर्गा अपदुद्धारष्टकम् में आठ श्लोक हैं, जबकि दुर्गापदुद्धारकस्तोत्रम् में 16 श्लोक हैं। दोनों स्तोत्रों में, भक्त देवी दुर्गा का ध्यान करते हैं और उनकी महिमा और शक्ति की प्रशंसा करते हैं। वे देवी दुर्गा से अपने जीवन में आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

श्रीदुर्गा अपदुद्धारष्टकम् के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:

  • प्रथम श्लोक:

नमस्ते देवी जगदम्बिके, सर्वशक्तिमते नमस्ते। अपदुद्धारकारिण्ये, त्वमेव नमस्ते।

अर्थ:

हे देवी जगदम्बिके, आपको नमस्कार है, सर्वशक्तिमान, आपको नमस्कार है। कष्टों को दूर करने वाली, आपको ही नमस्कार है।

  • अंतिम श्लोक:

त्वद्भक्तिं मयि कृपां च देहि, सर्वपापघ्नी भक्तवत्सले। त्वमेव शरणं त्वमेव गतिः, त्वमेव मातृदेवता नमस्ते।

अर्थ:

मुझे आपकी भक्ति और कृपा प्रदान करें, हे भक्तवत्सले, सभी पापों को नष्ट करने वाली। आप ही मेरी शरण हैं, आप ही मेरा गति हैं, आप ही मातृदेवता हैं, आपको नमस्कार है।

दुर्गापदुद्धारकस्तोत्रम् के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:

  • प्रथम श्लोक:

नमस्ते देवी जगदम्बिके, सर्वशक्तिमते नमस्ते। पदे पदे विघ्नं हरि, त्वमेव नमस्ते।

अर्थ:

हे देवी जगदम्बिके, आपको नमस्कार है, सर्वशक्तिमान, आपको नमस्कार है। हर कदम पर विघ्न को दूर करें, आपको ही नमस्कार है।

  • अंतिम श्लोक:

त्वद्भक्तिं मयि कृपां च देहि, सर्वपापघ्नी भक्तवत्सले। त्वमेव शरणं त्वमेव गतिः, त्वमेव मातृदेवता नमस्ते।

अर्थ:

मुझे आपकी भक्ति और कृपा प्रदान करें, हे भक्तवत्सले, सभी पापों को नष्ट करने वाली। आप ही मेरी शरण हैं, आप ही मेरा गति हैं, आप ही मातृदेवता हैं, आपको नमस्कार है।

श्रीदुर्गा अपदुद्धारष्टकम् और दुर्गापदुद्धारकस्तोत्रम् दोनों ही शक्तिशाली स्तोत्र हैं जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। यदि आप देवी दुर्गा की भक्त हैं, तो इन स्तोत्रों का पाठ करना एक अच्छा तरीका है।


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