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  • Create Date October 6, 2023
  • Last Updated October 6, 2023

श्रीदुर्गाकवचम् 4 एक संस्कृत कवच है जो हिंदू देवी दुर्गा की रक्षा प्रदान करने के लिए कहा जाता है। यह कवच देवी दुर्गा के नौ रूपों की स्तुति करता है।

कवच के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • कवच की शुरुआत में, भक्त देवी दुर्गा का ध्यान करते हैं।
  • कवच के शेष श्लोकों में, भक्त देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति की प्रशंसा करते हैं।
  • कवच के अंत में, भक्त देवी दुर्गा से अपने जीवन में आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

श्रीदुर्गाकवचम् 4 के पाठ से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह कवच भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह कवच भक्तों को सभी प्रकार के नुकसान और खतरों से बचाता है।
  • यह कवच भक्तों को आरोग्य, धन और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।

श्रीदुर्गाकवचम् 4 को पढ़ने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:

  1. एकांत स्थान में एक स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।
  2. देवी दुर्गा का ध्यान करें।
  3. कवच का पाठ करें।
  4. कवच के अंत में, देवी दुर्गा से प्रार्थना करें।

श्रीदुर्गाकवचम् 4 एक शक्तिशाली कवच है जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यदि आप देवी दुर्गा की भक्त हैं, तो यह कवच पढ़ना एक अच्छा तरीका है।

श्रीदुर्गाकवचम् 4 के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:

  • प्रथम श्लोक:

ॐ नमस्ते चण्डिकायै, नमस्ते चण्डेश्वरी। नमस्ते शर्वाणी, नमस्ते त्रिपुरसुन्दरी।

अर्थ:

हे चण्डिका, आपको नमस्कार है, हे चण्डेश्वरी, आपको नमस्कार है। हे शर्वाणी, आपको नमस्कार है, हे त्रिपुरसुन्दरी, आपको नमस्कार है।

  • अंतिम श्लोक:

ॐ नमस्ते चामुंडे, नमस्ते महामाये। सर्वशक्तिमते नमस्ते, भक्तवत्सले।

अर्थ:

हे चामुंडे, आपको नमस्कार है, हे महामाया, आपको नमस्कार है। सर्वशक्तिमान, आपको नमस्कार है, भक्तवत्सले।

श्रीदुर्गाकवचम् 4 एक शक्तिशाली कवच है जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यदि आप देवी दुर्गा की भक्त हैं, तो यह कवच पढ़ना एक अच्छा तरीका है।

श्रीदुर्गाकवचम् 4 का हिंदी अनुवाद:

श्रीदुर्गाकवचम् 4

भगवान ब्रह्मा कहते हैं:

हे मार्कण्डेय! मैं आपको एक शक्तिशाली कवच बताऊंगा जो देवी दुर्गा की कृपा से आपको सभी प्रकार के नुकसान और खतरों से बचाएगा।

प्रथम श्लोक:

हे चण्डिका, आपको नमस्कार है, हे चण्डेश्वरी, आपको नमस्कार है। हे शर्वाणी, आपको नमस्कार है, हे त्रिपुरसुन्दरी, आपको नमस्कार है।

अर्थ:

हे देवी चण्डिका, आपको नमस्कार है। हे देवी चण्डेश्वरी, आपको नमस्कार है। हे देवी शर्वाणी, आपको नमस्कार है। हे देवी त्रिपुरसुन्दरी, आपको नमस्कार है।

दूसरा श्लोक:

हे महालक्ष्मी, आपको नमस्कार है, हे महासरस्वती, आपको नमस्कार है। हे महाकाली, आपको नमस्कार है, हे महामाया, आपको नमस्कार है।


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