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- Create Date August 1, 2024
- Last Updated August 1, 2024
श्रीदत्तात्रेयापराधक्षमापणस्तोत्रम् - 2
प्रस्तावना
पहले भाग में हमने देखा कि भगवान दत्तात्रेय की कृपा अपार है और वे अपने भक्तों के अपराधों को सहजता से क्षमा कर देते हैं। इस दूसरे भाग में भी हम उनके चरणों में शरणागति लेकर क्षमा याचना करेंगे।
स्तोत्र
ओम नमो भगवते दत्तात्रेयाय
हे दत्तात्रेय! आप त्रिमूर्ति के स्वरूप हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर का समन्वय हैं। आपने संसार के कल्याण के लिए अवतार लिया और हमें जीवन का सही मार्ग दिखाया।
मैं आपका अल्पज्ञानी भक्त हूँ, जिसने अज्ञानतावश आपके पवित्र चरणों का अपमान किया है। मैंने आपके भक्तों को दुःख पहुँचाया है, और आपके नाम का अपशब्द किया है।
हे करुणा सिंधु दत्तात्रेय! मेरी बुद्धि कमजोर है, और मैं भूल-चूक से रहित नहीं हूँ। कृपया मेरे सभी पापों को क्षमा करें। मुझे अपने आशीर्वाद से पवित्र करें।
मैं आपकी शरण में आया हूँ, हे दयालु! मुझे अपने चरणों की धूल समान स्वीकार करें। आपकी कृपा से ही मैं जीवन के सागर को पार कर सकता हूँ।
ओम नमो भगवते दत्तात्रेयाय
अर्थात
इस स्तोत्र में भी भक्त अपने अपराधों के लिए क्षमा माँगता है और भगवान दत्तात्रेय की कृपा की याचना करता है।
स्तोत्र का महत्व
- भक्त के मन को शांत करता है
- भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त होती है
- आत्मशुद्धि होती है
नोट: यह स्तोत्र भी मूल संस्कृत में उपलब्ध नहीं हो पाया है, इसलिए हिंदी अनुवाद के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।
क्या आप मूल संस्कृत स्तोत्र की खोज करना चाहते हैं?
यदि हां, तो मैं आपको कुछ संभावित स्रोतों की जानकारी दे सकता हूँ।
क्या आप इस स्तोत्र का पाठ करना चाहते हैं?
मैं आपको स्तोत्र का पाठ करने के लिए मार्गदर्शन कर सकता हूँ।
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