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- Create Date October 7, 2023
- Last Updated October 7, 2023
श्रीचंद्रलम्बाशतकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो चंद्रमा की स्तुति करता है। चंद्रमा को हिंदू धर्म में ज्ञान, बुद्धि, और सौंदर्य का देवता माना जाता है।
श्रीचंद्रलम्बाशतकम् में चंद्रमा की कई विशेषताओं और गुणों की स्तुति की गई है। इस स्तोत्र में चंद्रमा को ज्ञान का भंडार, बुद्धि का प्रकाश, और सौंदर्य का प्रतिरूप बताया गया है।
श्रीचंद्रलम्बाशतकम् की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
चंद्रमा, ज्ञान का भंडार,
बुद्धि का प्रकाश,
सौंदर्य का प्रतिरूप,
तुमसे मैं प्रार्थना करता हूँ।
तुम मुझे ज्ञान और बुद्धि प्रदान करो,
और मेरे जीवन में सुख और शांति लाओ।
तुम मेरे सभी कष्टों को दूर करो,
और मुझे अपने आशीर्वाद से भर दो।
श्रीचंद्रलम्बाशतकम् एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को ज्ञान, बुद्धि, और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
श्रीचंद्रलम्बाशतकम् की रचना 15वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक वल्लभाचार्य ने की थी। यह स्तोत्र वल्लभाचार्य के भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
श्रीचंद्रलम्बाशतकम् का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह उठकर या रात को सोने से पहले होता है। इस स्तोत्र को पढ़ने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है, लेकिन इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक पढ़ना चाहिए।
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