• Version
  • Download 48
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 16, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् एक वैष्णव स्तोत्र है जो भगवान चैतन्य महाप्रभु की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र ४२ श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान चैतन्य महाप्रभु के एक अलग गुण या रूप की स्तुति की गई है।

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् की रचना श्री कृष्णदास कविराज ने की थी। यह स्तोत्र श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके भक्तों द्वारा नियमित रूप से पढ़ा और गाया जाता है।

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • भगवान चैतन्य महाप्रभु भगवान विष्णु के अवतार हैं।
  • भगवान चैतन्य महाप्रभु भक्ति का मार्ग दिखाने के लिए आए थे।
  • भगवान चैतन्य महाप्रभु ने सभी जीवों को प्रेम और करुणा का संदेश दिया।

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान चैतन्य महाप्रभु की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने और मोक्ष प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है।

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् का पाठ हिंदी में इस प्रकार है:

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम्

श्लोक १

नमो नमो गौरांग, कृष्णस्वरूप, हरिस्वरूप।

श्लोक २

तुम ही हो भगवान विष्णु के अवतार, तुम ही हो भक्ति का मार्गदर्शक। तुम ही हो सभी जीवों के उद्धारकर्ता।

श्लोक ३

तुम हो प्रेम और करुणा के सागर, तुम हो ज्ञान और भक्ति के प्रकाश। तुम हो सभी जीवों के लिए प्रेरणा।

श्लोक ४

जो भक्त तुम्हारी शरण में जाता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। वह मोक्ष प्राप्त करता है, और तुम्हारे दर्शन प्राप्त करता है।

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् का पाठ संस्कृत में इस प्रकार है:

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम्

श्लोक १

नमो नमो गौरांग, कृष्णस्वरूप, हरिस्वरूप।

श्लोक २

त्वं एव विष्णु अवतार, त्वं एव भक्ति मार्गदर्शक। त्वं एव सर्वजीव उद्धारक।

श्लोक ३

त्वं एव प्रेम करुणा सागर, त्वं एव ज्ञान भक्ति प्रकाश। त्वं एव सर्व जीव प्रेरणा।

श्लोक ४

यः भक्तः त्वत् शरणं गच्छति, तस्य सर्वदुःखानि, दूरं गच्छन्ति। स मोक्षं प्राप्नोति, त्वत् दर्शनं च।

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् के तीन खंड हैं:

  • प्रथम खंड: भगवान चैतन्य महाप्रभु के अवतार होने का वर्णन करता है।
  • द्वितीय खंड: भगवान चैतन्य महाप्रभु के गुणों का वर्णन करता है।
  • तृतीय खंड: भगवान चैतन्य महाप्रभु की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तों को क्या करना चाहिए, इसका वर्णन करता है।

श्री गौरांगष्टोत्तर श्लोकनमस्तोत्रम् एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान चैतन्य महाप्रभु के बारे में जानने के लिए एक अनिवार्य है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने और मोक्ष प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *