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  • Create Date October 16, 2023
  • Last Updated October 16, 2023

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली एक वैष्णव स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के आठ नामों की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान कृष्ण के एक अलग नाम की स्तुति की गई है।

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली की रचना श्री कृष्णदास कविराज ने की थी। यह स्तोत्र श्री कृष्ण और उनके भक्तों द्वारा नियमित रूप से पढ़ा और गाया जाता है।

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • भगवान कृष्ण के आठ नाम हैं:
    • कृष्ण: भगवान विष्णु के एक अवतार जो प्रेम और करुणा के अवतार हैं।
    • गोपाल: भगवान कृष्ण का एक नाम जो उन्हें गायों का पालन करने वाला बताता है।
    • गोविन्द: भगवान कृष्ण का एक नाम जो उन्हें गायों के प्रिय बताता है।
    • मदनमोहन: भगवान कृष्ण का एक नाम जो उन्हें कामदेव के समान रूप से मोहक बताता है।
    • वृन्दावन बिहारी: भगवान कृष्ण का एक नाम जो उन्हें वृन्दावन में रहने वाला बताता है।
    • नंदलाल: भगवान कृष्ण का एक नाम जो उन्हें नंद बाबा के पुत्र बताता है।
    • यशोदा लाल: भगवान कृष्ण का एक नाम जो उन्हें यशोदा माँ के पुत्र बताता है।

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने और मोक्ष प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है।

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली का पाठ हिंदी में इस प्रकार है:

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली

श्लोक १

नमो नमो कृष्ण, तुम हो भगवान विष्णु के अवतार। तुम हो प्रेम और करुणा के अवतार, तुम हो सभी जीवों के लिए प्रेरणा।

श्लोक २

तुम हो गायों का पालन करने वाले, तुम हो गायों के प्रिय, तुम हो कामदेव के समान रूप से मोहक, तुम हो वृन्दावन में रहने वाले।

श्लोक ३

तुम हो नंद बाबा के पुत्र, तुम हो यशोदा माँ के पुत्र, तुम हो सभी जीवों के लिए आशीर्वाद, तुम हो सभी जीवों के लिए उद्धार।

श्लोक ४

जो भक्त तुम्हारे नामों का जाप करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। वह मोक्ष प्राप्त करता है, और तुम्हारे दर्शन प्राप्त करता है।

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली का पाठ संस्कृत में इस प्रकार है:

श्री गोपालष्टोत्तराष्टानामावली

श्लोक १

नमो नमो कृष्ण, त्वं एव विष्णु अवतार। त्वं एव प्रेम करुणा स्वरूप, त्वं एव सर्व जीव प्रेरणा।

श्लोक २

त्वं एव गोपाल, त्वं एव गोविन्द, त्वं एव मदनमोहन, त्वं एव वृन्दावन बिहारी।

श्लोक ३

त्वं एव नंदलाल, त्वं एव यशोदा लाल, त्वं एव सर्व जीव आशीर्वाद, त्वं एव सर्व जीव उद्धार।

श्लोक ४

यः भक्तः त्वत् नामानि जपति, तस्य सर्वदुःखानि, दूरं गच्छन्ति। स मोक्षं प्राप्नोति, त्वत् दर्शनं च।


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