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- Create Date November 22, 2023
- Last Updated November 22, 2023
Sriguruvayupurapaigashtakotashanamavalih
श्रीगुरुवल्लभ अष्टकोटशतानामावली एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण के 8000 नामों का वर्णन करता है।
स्तोत्र के प्रारंभ में, भगवान कृष्ण को एक सर्वशक्तिमान देवता के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें ब्रह्मांड का सृजनकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता बताया गया है।
स्तोत्र में कृष्ण के नामों का वर्णन उनके विभिन्न गुणों और कार्यों के आधार पर किया गया है। उदाहरण के लिए, कृष्ण को "नारायण" कहा जाता है क्योंकि वे विष्णु के अवतार हैं। उन्हें "कंसवध" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कंस का वध किया था।
स्तोत्र का अंत इस प्रकार है:
इति श्रीगुरुवल्लभ अष्टकोटशतानामावली संपूर्णम्
यः पठेत् स एव भवेत् गोपालप्रियः सर्वेश्वरो भवेत् स एव मोक्षवान्
इस प्रकार, यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की स्तुति करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यह स्तोत्र भक्ति, ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
Sriguruvayupurapaigashtakotashanamavalih
यहां स्तोत्र का हिंदी अनुवाद दिया गया है:
श्रीगुरुवल्लभ अष्टकोटशतानामावली का अंत
इस प्रकार श्रीगुरुवल्लभ अष्टकोटशतानामावली पूर्ण हुआ। जो इसे पढ़ता है, वह गोपाल का प्रिय होता है। वह सर्वेश्वर होता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।
श्रीगुरुवल्लभ अष्टकोटशतानामावली एक भक्तिपूर्ण और प्रेरणादायक स्तोत्र है। यह स्तोत्र कृष्ण के सभी गुणों और कार्यों को प्रकट करता है।
स्तोत्र के कुछ प्रमुख छंद निम्नलिखित हैं:
- **कृष्णं ब्रह्मं चैव शिवं च,
- **कृष्णं विष्णुं चैव रुद्रं च,
- **कृष्णं साक्षाद परब्रह्मं,
- कृष्णं नमस्कृत्य भवेत्।
इन छंदों में, कृष्ण को ब्रह्मांड के सभी देवताओं के साथ एक माना गया है। उन्हें साक्षात् परब्रह्म भी कहा जाता है।
श्रीगुसा_ईंजीकृतदण्डकः Shreegusa injeeleekrtadandakah
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