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  • Create Date November 23, 2023
  • Last Updated November 23, 2023

श्रीगंधर्वसंपार्थनाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है।

श्रीगंधर्वसंपार्थनाष्टकम् की रचना का श्रेय 17वीं शताब्दी के कवि और संत श्रीमद्भागवताचार्य जी को दिया जाता है। यह स्तोत्र श्रीमद्भागवताचार्य जी के गणेश भक्ति के भावों को व्यक्त करता है।

श्रीगंधर्वसंपार्थनाष्टकम् में, भगवान गणेश को समस्त देवताओं का स्वामी, बुद्धि का देवता, और बाधाओं का नाश करने वाला बताया गया है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की भक्ति के मार्ग को प्रदर्शित करता है।

श्रीगंधर्वसंपार्थनाष्टकम् के कुछ प्रमुख श्लोक निम्नलिखित हैं:

Srigandharvasamprarthanashtakam

श्लोक 1:

नमस्ते गणपतये बुद्धिप्रदायकाय । प्रथमं प्रणेता सदा सर्वकार्येषु ॥

अर्थ:

हे गणेश! आपको नमस्कार है। आप बुद्धि के दाता हैं। आप सभी कार्यों के पहले प्रणेता हैं।

श्लोक 2:

नमस्ते देवगणाधिपते नमस्ते सर्वदेवेश्वरे । नमस्ते सर्वकार्यसाधने नमस्ते सर्वसिद्धिप्रदे ॥

अर्थ:

हे देवताओं के स्वामी! आपको नमस्कार है। हे सभी देवताओं के ईश्वर! आपको नमस्कार है। हे सभी कार्यों के साधन! आपको नमस्कार है। हे सभी सिद्धियों के दाता! आपको नमस्कार है।

श्लोक 3:

नमस्ते सर्वविघ्नहरणे नमस्ते सर्वदुष्टनाशिने । नमस्ते सर्वार्थसाधकं नमस्ते सर्वार्थदायिनी ॥

अर्थ:

हे सभी विघ्नों के हरण करने वाले! आपको नमस्कार है। हे सभी दुष्टों का नाश करने वाले! आपको नमस्कार है। हे सभी अर्थों को साधक! आपको नमस्कार है। हे सभी अर्थों को देने वाले! आपको नमस्कार है।

श्रीगंधर्वसंपार्थनाष्टकम् का पाठ करने से माना जाता है कि भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो भगवान गणेश की भक्ति करते हैं।

श्रीगंधर्वसंपार्थनाष्टकम् के कुछ अन्य लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।
  • यह आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
  • यह सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायक है।

श्रीगंधर्वसंपार्थनाष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है।


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