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  • Create Date October 7, 2023
  • Last Updated October 7, 2023

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली श्लोक संख्या 1 का पाठ इस प्रकार है:

श्लोक 1:

गजाननं गणपतिं भक्तवत्सलम् नमामि विघ्नराजेंद्रं सर्वसिद्धिप्रदम्

अनुवाद:

मैं गजानन, गणपति, भक्तवत्सल, विघ्नराजेंद्र और सर्वसिद्धिप्रद को नमस्कार करता हूं।

इस श्लोक में, भगवान गणेश की गजानन, गणपति, भक्तवत्सल, विघ्नराजेंद्र और सर्वसिद्धिप्रद जैसी विशेषताओं की प्रशंसा की गई है। ये विशेषताएं उन्हें एक शक्तिशाली और अनुग्रहकारी देवता बनाती हैं जो सभी बाधाओं को दूर कर सकते हैं और सभी सिद्धियों को प्रदान कर सकते हैं।

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली श्लोक संख्या 1 के लाभों में शामिल हैं:

  • भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना
  • सभी बाधाओं को दूर करना
  • सभी सिद्धियों को प्राप्त करना
  • आध्यात्मिक प्रगति करना
  • सफलता और खुशी प्राप्त करना

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली श्लोक संख्या 1 को रोजाना पढ़ने या सुनने से कहा जाता है, विशेष रूप से कठिन समय में। यह श्लोक लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।

यहां श्रीगणेशशततराष्टरनामावली श्लोक संख्या 1 का एक सरल अर्थ है:

मैं भगवान गणेश को नमस्कार करता हूं, जो एक गजमुख वाले, गणपति के रूप में जाने जाते हैं, जो भक्तों के लिए दयालु हैं, और जो विघ्नों के राजा हैं और सभी सिद्धियों को प्रदान करते हैं।

यह श्लोक भगवान गणेश की शक्ति और अनुग्रह का एक शक्तिशाली घोषणापत्र है। यह लोगों को अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।


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