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- Create Date October 7, 2023
- Last Updated July 29, 2024
श्रीगणेशनमस्कार स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की स्तुति करता है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों से बना है, जो हैं:
श्लोक 1:
नमस्ते गणपतये नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते गणपतये नमस्ते नमस्ते नमस्ते। सिद्धिबुद्धिप्रदे सर्वकार्यसिद्धये, त्वामाश्रये नमस्ते नमस्ते नमस्ते।
अनुवाद:
हे गणेश, मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूं। हे गणेश, मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूं। हे गणेश, मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूं।
हे सिद्धि और बुद्धि के दाता, सभी कार्यों की सिद्धि के लिए, मैं आपकी शरण में हूं। हे गणेश, मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूं।
श्लोक 2:
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
अनुवाद:
हे वक्रतुंड, हे महाकाय, हे सूर्य के समान तेजस्वी, हे देव, कृपया मेरे सभी कार्यों में हमेशा बाधाएं दूर करें।
श्लोक 3:
जय गणपति जय गणपति जय गणपति, जय जय जय गणपति त्रिलोकपते।
अनुवाद:
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, जय जय जय गणेश, त्रिलोक के स्वामी।
श्लोक 4:
एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
अनुवाद:
एकदंत को हम जानते हैं, वक्रतुंड को हम ध्यान करते हैं, वह दांत वाला हमें प्रेरित करे।
श्लोक 5:
विनायकाय विद्महे गणपतये धीमहि, तन्नो बुद्धि प्रचोदयात्।
अनुवाद:
विनायक को हम जानते हैं, गणपतये को हम ध्यान करते हैं, वह बुद्धि हमें प्रेरित करे।
श्लोक 6:
श्रीगणेशाय विद्महे सिद्धिबुद्धिप्रदायकाय धीमहि, तन्नो सिद्धिबुद्धि प्रचोदयात्।
अनुवाद:
श्रीगणेश को हम जानते हैं, सिद्धि और बुद्धि देने वाले को हम ध्यान करते हैं, वह सिद्धि और बुद्धि हमें प्रेरित करे।
श्लोक 7:
ऋद्धिसिद्धिमौलिं गजवक्त्रं त्रिलोचनम्, गणनाथं भालचंद्रम भजे।
अनुवाद:
ऋद्धि और सिद्धि के मुकुट वाले, हाथी के मुंह वाले, तीन आंखों वाले, गणनाथ को, चंद्रमा के समान शीर्ष वाले, मैं भजता हूं।
श्लोक 8:
गजाननं भूतगणादिसेवितं, कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्, उमासुतं शोकविनाशकारकं, नमामि विघ्नराजेंद्रम्।
अनुवाद:
हाथी के सिर वाले, भूतों और अन्य अनुयायियों से सेवा प्राप्त करने वाले, कपित्थ और जामुन के मीठे फल खाने वाले, पार्वती के पुत्र, शोक को दूर करने वाले, मैं विघ्नराजेंद्र को नमस्कार करता हूं।
श्रीगणेशनमस्कार स्तोत्र एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने, सभी बाधाओं को दूर करने और सभी सिद्धियों को प्राप्त करने में मदद करता है।
श्रीगणेशनमस्कार स्तोत्र को किसी भी समय और किसी भी स्थान पर पढ़ा जा सकता है। हालांकि, यह स्तोत्र सुबह के समय पढ़ना सबसे अच्छा माना जाता है।
श्रीगणेशनमस्कार स्तोत्र का पाठ करने के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती
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