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  • Create Date November 22, 2023
  • Last Updated November 22, 2023

Sri Ganganarayandevashtakam

श्री गंगानारायणदेवाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गंगाधर के रूप में विख्यात भगवान विष्णु की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के भक्ति संत, श्री तुलसीदास द्वारा रचित है।

स्तोत्र के प्रारंभ में, भगवान विष्णु को गंगा के साथ विराजमान देवता के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें एक शक्तिशाली योद्धा और एक करुणामयी देवता के रूप में भी वर्णित किया गया है।

स्तोत्र में भगवान विष्णु की कई लीलाओं का उल्लेख किया गया है। उदाहरण के लिए, उन्हें क्षीरसागर से अवतार लेने, दैत्यों का वध करने और राधा-कृष्ण के रूप में अवतार लेने के लिए जाना जाता है।

स्तोत्र का अंत इस प्रकार है:

इति श्री गंगानारायणदेवाष्टकं संपूर्णम्

यः पठेत् स एव भवेत् गोपालप्रियः सर्वेश्वरो भवेत् स एव मोक्षवान्

इस प्रकार, यह स्तोत्र भगवान विष्णु की स्तुति करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यह स्तोत्र भक्ति, ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

यहां स्तोत्र का हिंदी अनुवाद दिया गया है:

श्री गंगानारायणदेवाष्टक का अंत

इस प्रकार श्री गंगानारायणदेवाष्टक पूर्ण हुआ। जो इसे पढ़ता है, वह गोपाल का प्रिय होता है। वह सर्वेश्वर होता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।

Sri Ganganarayandevashtakam

श्री गंगानारायणदेवाष्टक के प्रमुख छंद

  • **"गंगानारायण जय जय,
  • **गंगाधर जय जय।
  • **क्षीरसागर से अवतरित,
  • दैत्यों का वध किया।"

इन छंदों में, भगवान विष्णु को एक शक्तिशाली योद्धा के रूप में वर्णित किया गया है। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु ने क्षीरसागर से अवतार लिया और दैत्यों का वध किया।

  • **"राधा-कृष्ण के रूप में अवतार लिया,
  • **गोपियों के साथ प्रेम किया।
  • **गंगानारायण, कृपा करो,
  • हमारे जीवन को सुखी करो।"

इन छंदों में, भगवान विष्णु की प्रेम लीलाओं का उल्लेख किया गया है। वे कहते हैं कि भगवान विष्णु ने राधा-कृष्ण के रूप में अवतार लिया और गोपियों के साथ प्रेम किया। वे भक्तों से प्रार्थना करते हैं कि भगवान गंगानारायण उनकी कृपा करें और उनके जीवन को सुखी करें।

श्री गंगानारायणदेवाष्टक का महत्व

श्री गंगानारायणदेवाष्टक एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की भक्ति और उनके गुणों को प्रकट करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु की शरण में जाने और उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। यह स्तोत्र भक्तों को गंगा नदी की पूजा करने और एक सात्विक जीवन जीने के लिए भी प्रेरित करता है।

श्रीगर्वापहाराष्टकम् Srigarvapaharashtakam


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