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  • Create Date November 22, 2023
  • Last Updated November 22, 2023

Srikeshwarajashtakam

श्रीकेश्वरराजाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के भक्ति संत, श्री मधुसूदन सरस्वती द्वारा रचित है।

स्तोत्र के प्रारंभ में, भगवान शिव को "केशरत्नधारी" के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है "मणियों से जड़े हुए केशों वाले"। उन्हें एक शक्तिशाली देवता और ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में भी वर्णित किया गया है।

स्तोत्र में भगवान शिव की कई लीलाओं का उल्लेख किया गया है। उदाहरण के लिए, उन्हें पार्वती के साथ विवाह करने, दक्ष का वध करने और त्रिपुर का दहन करने के लिए जाना जाता है।

स्तोत्र का अंत इस प्रकार है:

इति श्रीकेश्वरराजाष्टकं संपूर्णम्

यः पठेत् स एव भवेत् शिवप्रियः सर्वेश्वरो भवेत् स एव मोक्षवान्

इस प्रकार, यह स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यह स्तोत्र भक्ति, ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

यहां स्तोत्र का हिंदी अनुवाद दिया गया है:

श्रीकेश्वरराजाष्टक का अंत

इस प्रकार श्रीकेश्वरराजाष्टक पूर्ण हुआ। जो इसे पढ़ता है, वह शिव का प्रिय होता है। वह सर्वेश्वर होता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।

Srikeshwarajashtakam

श्रीकेश्वरराजाष्टक के प्रमुख छंद

  • **"केशरत्नधारी शिव शंकर,
  • **त्रिभुवननाथ जय जय।
  • **सर्वशक्तिमान देवता,
  • सर्वेश्वर जय जय।"

इन छंदों में, भगवान शिव को एक शक्तिशाली देवता और ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में वर्णित किया गया है। वे कहते हैं कि भगवान शिव सर्वशक्तिमान हैं और वे ब्रह्मांड के सभी देवताओं के स्वामी हैं।

  • **"पार्वती के साथ विवाह किया,
  • **दक्ष का वध किया।
  • **त्रिपुर का दहन किया,
  • दुष्टों का नाश किया।"

इन छंदों में, भगवान शिव की कई लीलाओं का उल्लेख किया गया है। वे कहते हैं कि भगवान शिव ने पार्वती के साथ विवाह किया, दक्ष का वध किया और त्रिपुर का दहन किया। वे भक्तों से प्रार्थना करते हैं कि भगवान शिव उनकी कृपा करें और उन्हें दुष्टों से बचाएं।

श्रीकेश्वरराजाष्टक का महत्व

श्रीकेश्वरराजाष्टक एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान शिव की भक्ति और उनके गुणों को प्रकट करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव की शरण में जाने और उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। यह स्तोत्र भक्तों को एक सात्विक जीवन जीने और दुष्टों से बचने के लिए भी प्रेरित करता है।

श्रीकेशवादि चतुर्विंशतिनामस्तोत्रम् Srikeshavadi Chaturvinshatinamastotram


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