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  • Create Date November 23, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 1080 श्लोकों में विभाजित है।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् की रचना का श्रेय 14वीं शताब्दी के कवि और संत श्रीवल्लभाचार्य को दिया जाता है। यह स्तोत्र वल्लभाचार्य के प्रेम मार्ग के सिद्धांतों पर आधारित है।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् में, भगवान कृष्ण को प्रेम के सागर के रूप में बताया गया है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की भक्ति के मार्ग को प्रदर्शित करता है।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् के कुछ प्रमुख श्लोक निम्नलिखित हैं:

Shrikrishnaashtottarashatanamastotram

श्लोक 1:

नमस्ते मधुसूदनाय नमस्ते गोपीवल्लभाय । नमस्ते कृष्णाय नमस्ते वासुदेवाय ॥

अर्थ:

हे मधुसूदन! आपको नमस्कार है। हे गोपीवल्लभ! आपको नमस्कार है। हे कृष्ण! आपको नमस्कार है। हे वासुदेव! आपको नमस्कार है।

श्लोक 2:

नमस्ते गोविन्दाय नमस्ते मुरारिणे । नमस्ते गोपिकामनोहरवे नमस्ते सारवे ॥

अर्थ:

हे गोविंद! आपको नमस्कार है। हे मुरारि! आपको नमस्कार है। हे गोपिकाओं के मनोहर! आपको नमस्कार है। हे सार! आपको नमस्कार है।

श्लोक 3:

नमस्ते दृगविवेचनाय नमस्ते मधुरभाषिणे । नमस्ते श्यामवर्णाय नमस्ते मधुराप्रिये ॥

अर्थ:

हे दृगविवेचना! आपको नमस्कार है। हे मधुरभाषी! आपको नमस्कार है। हे श्यामवर्ण! आपको नमस्कार है। हे मधुराप्रिय! आपको नमस्कार है।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् का पाठ करने से माना जाता है कि भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो भगवान कृष्ण की भक्ति करते हैं।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् के कुछ अन्य लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।
  • यह आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
  • यह प्रेम की प्राप्ति में सहायक है।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है।

मस्तोत्र शब्द का अर्थ है "मस्तिष्क को शांत करने वाला"। इस शब्द का प्रयोग श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् में किया गया है क्योंकि यह स्तोत्र मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् के श्लोकों में भगवान कृष्ण की प्रेममय लीलाओं का वर्णन किया गया है। ये श्लोक भक्तों के मन को मोह लेते हैं और उन्हें भगवान कृष्ण के प्रेम में डूबने में मदद करते हैं।

श्रीकृष्णाष्टोत्तरसहस्रनामस्तोत्रम् का पाठ करने से भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रेम के अमृत का अनुभव होता है। यह पाठ भक्तों के जीवन में प्रेम, शांति, और आनंद का संचार करता है।


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