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  • Create Date November 14, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

नहीं, श्रीकृष्णस्तोत्रन इंद्ररचित नहीं है। श्रीकृष्णस्तोत्रन संत कवि विद्यापति द्वारा रचित एक संस्कृत स्तोत्र है। यह स्तोत्र श्रीकृष्ण के बाल रूप की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र वराष्टक छंद में रचित है, जिसमें प्रत्येक चरण में आठ अक्षर होते हैं।

श्रीकृष्णस्तोत्रन की पहली दो पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

shreekrshnastotran indrarachitam

श्रीकृष्णस्तोत्रन

श्रीकृष्ण, श्रीकृष्ण,
हे बालगोपाल,
तेरी महिमा अपार,
तेरी लीला अपरंपार।

इस स्तोत्र में, विद्यापति भगवान कृष्ण को "बालगोपाल" कहते हैं, जिसका अर्थ है "बाल कृष्ण"। वे उन्हें "श्रीकृष्ण" भी कहते हैं, जो भगवान विष्णु के अवतार का एक नाम है। वे भगवान कृष्ण के बाल रूप की विभिन्न लीलाओं का वर्णन करते हैं। वे उनकी माखन चोरी करने की लीला, उनकी अक्रूर से द्वारका जाने के लिए रोने की लीला, और उनकी गोपियों के साथ रासलीला करने की लीला का वर्णन करते हैं।

श्रीकृष्णस्तोत्रन एक अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक अमूल्य निधि है।

श्रीकृष्णस्तोत्रन के रचयिता, संत कवि विद्यापति, एक विख्यात मैथिली कवि थे। वे बिहार के दरभंगा के रहने वाले थे। वे अपनी भक्ति और प्रेम के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं। श्रीकृष्णस्तोत्रन इनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक है।

इंद्र एक देवता हैं। वे देवराज हैं और सभी देवताओं के नेता हैं। वे भगवान विष्णु के परम भक्त हैं। इंद्र ने कई स्तोत्र लिखे हैं, लेकिन श्रीकृष्णस्तोत्रन उनमें से नहीं है।


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