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  • Create Date November 14, 2023
  • Last Updated November 14, 2023

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली एक संस्कृत ग्रंथ है जो भगवान कृष्ण के एक हजार नामों का वर्णन करता है। यह ग्रंथ विद्यापति द्वारा रचित है, जो एक विख्यात मैथिली कवि थे।

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली में भगवान कृष्ण के नामों का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों, गुणों, और कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यह ग्रंथ भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली का रचयिता, संत कवि विद्यापति, एक विख्यात मैथिली कवि थे। वे बिहार के दरभंगा के रहने वाले थे। वे अपनी भक्ति और प्रेम के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं। श्रीकृष्ण सहस्रनामावली इनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक है।

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली के मुख्य विषय निम्नलिखित हैं:

shreekrshnasahasranaamaavaleeh

  • भगवान कृष्ण के एक हजार नाम
  • भगवान कृष्ण के विभिन्न रूप, गुण, और कार्य
  • भगवान कृष्ण की महिमा

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली एक अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण ग्रंथ है। यह ग्रंथ भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक अमूल्य निधि है।

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • यह ग्रंथ भगवान कृष्ण के एक हजार नामों का वर्णन करता है।
  • यह ग्रंथ भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों, गुणों, और कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यह ग्रंथ भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह ग्रंथ विद्यापति द्वारा रचित है, जो एक विख्यात मैथिली कवि थे।

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली एक लोकप्रिय और प्रसिद्ध ग्रंथ है। यह ग्रंथ भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली की कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली

कृष्ण, गोपाल, मुरारी,
वृन्दावन बिहारी,
अर्जुन के गुरु,
ब्रह्मा के पुत्र,

नारायण, हरि, माधव,
विष्णु, केशव,
मधुसूदन,
केशव,

गोविन्द, दामोदर,
रघुनाथ, श्यामसुंदर,
यशोदा के लाल,
गोपियों के प्रियतम,

हे कृष्ण, तेरे नामों का जाप करने से,
हम सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं,
और हम तुम्हारी कृपा प्राप्त करते हैं।

श्रीकृष्ण सहस्रनामावली का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह ग्रंथ अपने भक्तों को सभी पापों से मुक्त करता है।


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