• Version
  • Download 250
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 17, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीकृष्णलहरीस्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के बाल लीलाओं की स्तुति करता है। इस स्तोत्र में भगवान कृष्ण को एक ऐसे बालक के रूप में वर्णित किया गया है, जो अत्यंत सुंदर, मधुरभाषी, और चतुर हैं।

श्रीकृष्णलहरीस्तोत्र के छंद निम्नलिखित हैं:

Shrikrishnalharistotram

  1. श्रीकृष्णलहरीस्तोत्र

  2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव

  3. लहरीं हरे लहरीं हरे लहरीं हरे कृष्ण लहरीं हरे

  4. लहरीं श्याम लहरीं श्याम लहरीं श्याम कृष्ण लहरीं श्याम

  5. लहरीं बाल लहरीं बाल लहरीं बाल कृष्ण लहरीं बाल

  6. लहरीं यशस्वी लहरीं यशस्वी लहरीं यशस्वी कृष्ण लहरीं यशस्वी

  7. लहरीं गोपीजनप्रिय लहरीं गोपीजनप्रिय लहरीं गोपीजनप्रिय कृष्ण लहरीं गोपीजनप्रिय

  8. लहरीं माधव लहरीं माधव लहरीं माधव कृष्ण लहरीं माधव

  9. लहरीं मधुरभाषी लहरीं मधुरभाषी लहरीं मधुरभाषी कृष्ण लहरीं मधुरभाषी

  10. लहरीं चतुर लहरीं चतुर लहरीं चतुर कृष्ण लहरीं चतुर

  11. लहरीं मधुर लहरीं मधुर लहरीं मधुर कृष्ण लहरीं मधुर

  12. लहरीं श्याम लहरीं श्याम लहरीं श्याम कृष्ण लहरीं श्याम

श्रीकृष्णलहरीस्तोत्र का अर्थ निम्नलिखित है:

  1. हे कृष्ण, हे गोविन्द, हे हरे, हे मुरारे, हे नाथ, हे नारायण, हे वासुदेव,

  2. हे हरे, हे लहरीं, हे लहरीं, हे लहरीं, हे लहरीं,

  3. हे कृष्ण, हे श्याम, हे बाल, हे यशस्वी, हे गोपीजनप्रिय, हे माधव,

  4. हे मधुरभाषी, हे चतुर, हे मधुर, हे श्याम,

श्रीकृष्णलहरीस्तोत्र एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की मनोहरता को दर्शाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • मन शांत और प्रसन्न होता है।
  • प्रेम और भक्ति में वृद्धि होती है।
  • दुख और कष्ट दूर होते हैं।
  • सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *