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- Create Date November 16, 2023
- Last Updated November 16, 2023
Srikaalbhairavashtakan
श्रीकालभैरवष्टकम् एक प्राचीन शाक्त स्तोत्र है जो भगवान कालभैरव की स्तुति में रचित है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों में विभाजित है। प्रत्येक श्लोक में कालभैरव के एक विशेष रूप या गुण का वर्णन किया गया है।
श्रीकालभैरवष्टकम् स्तोत्र के रचयिता अज्ञात हैं। यह स्तोत्र कालभैरव के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को कालभैरव की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें उनके सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
श्रीकालभैरवष्टकम् स्तोत्र के कुछ प्रमुख श्लोक और उनके अर्थ निम्नलिखित हैं:
Srikaalbhairavashtakan
- प्रथम श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव को काल का भैरव और भय का हरण करने वाला बताया गया है।
- द्वितीय श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव को रुद्र का रूप बताया गया है।
- तृतीय श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव को चंद्रशेखर बताया गया है।
- चतुर्थ श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव को शिव, शंकर, विष्णु, ब्रह्मा, गणेश, कार्तिकेय, अग्नि, वायु और इंद्र के रूप में बताया गया है।
- पंचम श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव को सभी देवताओं का स्वामी बताया गया है।
- षष्ठ श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव को भक्तों के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है।
- सप्तम श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव को भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है।
- अष्टम श्लोक: इस श्लोक में कालभैरव की स्तुति की गई है।
श्रीकालभैरवष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को कालभैरव की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें उनके सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
श्रीकालभैरवाष्टोत्तरशतनामावलिः Shrikaalbhairavashtottarashatanamavalih
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