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  • Create Date October 30, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीकामेश्वर स्तोत्रम भगवान शिव की एक भक्तिपूर्ण स्तुति है। यह स्तोत्र 9 श्लोकों में रचित है और इसमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन किया गया है।

स्तोत्र का प्रारंभ ककार से होता है, जो भगवान शिव का एक प्रतीक है। भगवान शिव को कामदेव के रूप में भी जाना जाता है, जो कामनाओं के देवता हैं। इसलिए, इस स्तोत्र में भगवान शिव को कामेश्वर कहा गया है।

स्तोत्र में भगवान शिव को कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है, जैसे कि कलेश्वर (काल के स्वामी), कनत्सुवर्णाभजटाधराय (कनकवर्णी जटाओं वाले), कराम्बुजातम्रदिमावधूतप्रवालगर्वाय (करों में चंद्रमा और मोती धारण करने वाले), कल्याणशैलेषुघयेऽहिराजगुणाय (कल्याण पर्वतों में रहने वाले और सर्पों के राजा के गुण वाले), पृथ्वीरथायागमसैन्धवाय (पृथ्वी के रथ पर सवार), कल्याय बल्याशरसङ्घभेदे तुल्या न सन्त्येव हि यस्य लोके (दुनिया में जिनके बल और यश की कोई तुलना नहीं है), कान्ताय शैलाधिपतेः सुताय (शैलराज की सुंदर पुत्री के पति), घटोद्भवात्रेयमुखार्चिताय (घट से उत्पन्न और त्रिमूर्तियों द्वारा पूजित), अघौघविध्वंसनपण्डिताय (पापों का नाश करने में निपुण), कामरये काङ्क्षितदाय शीघ्रं त्रात्रे सुराणां निखिलाद्भयाच्च (कामदेव के द्वारा उत्पन्न इच्छाओं को जल्दी से पूरा करने वाले और देवताओं को सभी भय से बचाने वाले), चलत्फणीन्द्रश्रितकन्धराय (चलते हुए सर्प के राजा के कंधे पर रहने वाले), कालान्तकाय प्रणतार्तिहन्त्रे (प्रार्थना करने वालों के दुखों को दूर करने वाले), तुलाविहीनास्यसरोरुहाय (अपनी भारहीन शरीर की भव्यता वाले), निजाङ्गसौन्दर्यजिताङ्गजाय (अपनी अंगों की सुंदरता से जीतने वाले), कैलासवासादरमानसाय (कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले), कैवल्यदाय प्रणतव्रजस्य (भक्तों को मोक्ष देने वाले), पदाम्बुजानम्रसुरेश्वराय (भगवान विष्णु के द्वारा पूजित), हतारिषट्कैरनुभूयमाननिजस्वरूपाय निरामयाय (हृदय में छिपे हुए अपने स्वरूप को जानने वाले और निरोगी रहने वाले)।

श्रीकामेश्वर स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Srikameshwar Stotram


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