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- Create Date October 16, 2023
- Last Updated October 16, 2023
श्री अघोराष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के एक रूप, अघोरनाथ की स्तुति करता है। इस स्तोत्र की रचना 16वीं शताब्दी में संत कबीर ने की थी।
श्री अघोराष्टकम् में भगवान शिव के रूप, अघोरनाथ को एक अत्यंत शक्तिशाली और दयालु देवता के रूप में दर्शाया गया है। भगवान अघोरनाथ को सभी भक्तों के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है।
श्री अघोराष्टकम् में भगवान अघोरनाथ की स्तुति निम्नलिखित प्रकार से की गई है:
श्लोक 1:
जय अघोरानाथ, जय अघोरानाथ, जय अघोरानाथ।
हे भगवान अघोरानाथ, तुम हो सबके स्वामी।
श्लोक 2:
तुम हो सृष्टि के सृजनकर्ता,
तुम हो सृष्टि के संहारकर्ता,
तुम हो सभी जीवों के स्वामी।
श्लोक 3:
तुम हो ज्ञान के भंडार,
तुम हो शक्ति के भंडार,
तुम हो भक्तों के मार्गदर्शक।
श्लोक 4:
तुम हो प्रेम के सागर,
तुम हो भक्ति के सागर,
तुम हो भक्तों के जीवन को सुखी बनाने वाले।
श्लोक 5:
तुम हो सभी कष्टों को दूर करने वाले,
तुम हो सभी दुखों को दूर करने वाले,
तुम हो भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाले।
श्लोक 6:
हे भगवान अघोरानाथ, मैं तुम्हारी शरण में आता हूं।
कृपा करके मेरे सभी कष्टों को दूर करो, और मुझे मोक्ष प्रदान करो।
श्री अघोराष्टकम् एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान अघोरनाथ की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
यहां श्री अघोराष्टकम् का हिंदी अनुवाद दिया गया है:
श्लोक 1:
जय हो अघोरानाथ,
तुम हो सबके स्वामी।
श्लोक 2:
तुम हो सृष्टि के सृजनकर्ता,
तुम हो सृष्टि के संहारकर्ता,
तुम हो सभी जीवों के स्वामी।
श्लोक 3:
तुम हो ज्ञान के भंडार,
तुम हो शक्ति के भंडार,
तुम हो भक्तों के मार्गदर्शक।
श्लोक 4:
तुम हो प्रेम के सागर,
तुम हो भक्ति के सागर,
तुम हो भक्तों के जीवन को सुखी बनाने वाले।
श्लोक 5:
तुम हो सभी कष्टों को दूर करने वाले,
तुम हो सभी दुखों को दूर करने वाले,
तुम हो भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाले।
श्लोक 6:
हे भगवान अघोरानाथ, मैं तुम्हारी शरण में आता हूं।
कृपा करके मेरे सभी कष्टों को दूर करो, और मुझे मोक्ष प्रदान करो।
श्री अघोराष्टकम् एक अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्र है और इसे अक्सर शिव मंदिरों में पाठ किया जाता है।
श्री अघोराष्टकम् के प्रत्येक श्लोक का अर्थ निम्नलिखित है:
श्लोक 1:
जय अघोरानाथ, जय अघोरानाथ, जय अघोरानाथ।
हे भगवान अघोरानाथ, तुम हो सबके स्वामी।
इस श्लोक में, भक्त भगवान अघोरानाथ की जयकार करते हैं और उनसे अपने जीवन पर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं।
श्लोक 2:
तुम हो सृष्टि के सृजनकर्ता,
तुम हो सृष्टि के संहारकर्ता,
तुम हो सभी जीवों के स्वामी।
इस श्लोक में, भक्त भगवान अघोरानाथ की शक्ति और दया का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि
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