• Version
  • Download 53
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 2, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

Shivohanstotram

शिवोहं स्तोत्रम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र भक्त को भगवान शिव के साथ एकता की भावना प्राप्त करने में मदद करता है।

स्तोत्र के 10 श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में भक्त भगवान शिव के साथ अपनी एकता की भावना व्यक्त करता है।

श्लोक 1

शिवोहम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।

मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं।

श्लोक 2

शिवोहं त्रिलोचन हूं, शिवोहं गौरीशंकर हूं।

मैं शिव हूं, मैं त्रिलोचन हूं, मैं गौरीशंकर हूं।

श्लोक 3

शिवोहं त्रिपुरारी हूं, शिवोहं महाकाल हूं।

मैं शिव हूं, मैं त्रिपुरारी हूं, मैं महाकाल हूं।

श्लोक 4

शिवोहं सर्वव्यापक हूं, शिवोहं सर्वशक्तिमान हूं।

मैं शिव हूं, मैं सर्वव्यापक हूं, मैं सर्वशक्तिमान हूं।

श्लोक 5

शिवोहं अजन्मा हूं, शिवोहं अविनाशी हूं।

मैं शिव हूं, मैं अजन्मा हूं, मैं अविनाशी हूं।

श्लोक 6

शिवोहं निर्गुण हूं, शिवोहं सगुण हूं।

मैं शिव हूं, मैं निर्गुण हूं, मैं सगुण हूं।

श्लोक 7

शिवोहं ब्रह्म हूं, शिवोहं विष्णु हूं।

मैं शिव हूं, मैं ब्रह्म हूं, मैं विष्णु हूं।

श्लोक 8

शिवोहं शक्ति हूं, शिवोहं ज्ञान हूं।

मैं शिव हूं, मैं शक्ति हूं, मैं ज्ञान हूं।

श्लोक 9

शिवोहं आनंद हूं, शिवोहं मोक्ष हूं।

मैं शिव हूं, मैं आनंद हूं, मैं मोक्ष हूं।

श्लोक 10

शिवोहम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।

मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं।

शिवोहं स्तोत्रम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह स्तोत्र ध्यान और साधना के लिए भी उपयोग किया जाता है।

यहां स्तोत्र का एक हिंदी अनुवाद दिया गया है:

शिवोहं स्तोत्रम

भगवान शिव की स्तुति

मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं।

मैं शिव हूं, मैं त्रिलोचन हूं, मैं गौरीशंकर हूं।

मैं शिव हूं, मैं त्रिपुरारी हूं, मैं महाकाल हूं।

मैं शिव हूं, मैं सर्वव्यापक हूं, मैं सर्वशक्तिमान हूं।

मैं शिव हूं, मैं अजन्मा हूं, मैं अविनाशी हूं।

मैं शिव हूं, मैं निर्गुण हूं, मैं सगुण हूं।

मैं शिव हूं, मैं ब्रह्म हूं, मैं विष्णु हूं।

मैं शिव हूं, मैं शक्ति हूं, मैं ज्ञान हूं।

मैं शिव हूं, मैं आनंद हूं, मैं मोक्ष हूं।

मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव हूं।

श्लोक 1 में, भक्त भगवान शिव के साथ अपनी एकता की भावना व्यक्त करता है। वह घोषणा करता है कि वह शिव है।

श्लोक 2 से 10 में, भक्त भगवान शिव के विभिन्न गुणों और उपाधियों को सूचीबद्ध करता है। वह घोषणा करता है कि वह सभी इन गुणों और उपाधियों को प्राप्त करता है।

श्लोक 10 में, भक्त अपनी एकता की भावना को दोहराता है। वह फिर से घोषणा करता है कि वह शिव है।

shivohanstotram

Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *