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- Create Date November 19, 2023
- Last Updated November 19, 2023
Shatananda Guru Samvade Shivdharmanuvarnanam
षट्तन्त्र तंत्र ग्रंथों में से एक है, जिसे षट्तन्त्र-सर्वस्व नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रंथ शिव धर्म का विस्तृत वर्णन करता है। ग्रंथ में शिव धर्म के सिद्धांतों, रीति-रिवाजों, आचार-विचारों, और पूजा-पद्धतियों का वर्णन किया गया है।
षट्तन्त्र गुरु संवाद में, शिव और पार्वती के बीच एक संवाद होता है जिसमें शिव धर्म के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती है। इस संवाद में, शिव धर्म के मूल सिद्धांतों, कर्मकांडों, और योग साधना का वर्णन किया गया है।
षट्तन्त्र गुरु संवाद में वर्णित शिव धर्म के मूल सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
- शिव ही सर्वशक्तिमान हैं।
- शिव ही सृष्टि, पालन, और संहार के देवता हैं।
- शिव ही मोक्ष के मार्गदर्शक हैं।
षट्तन्त्र गुरु संवाद में वर्णित शिव धर्म के कर्मकांड निम्नलिखित हैं:
- शिवलिंग की पूजा
- शिव मंत्रों का जाप
- शिव स्तोत्रों का पाठ
षट्तन्त्र गुरु संवाद में वर्णित शिव धर्म के योग साधना निम्नलिखित हैं:
- षट्कर्म योग
- क्रियायोग
- ध्यानयोग
Shatananda Guru Samvade Shivdharmanuvarnanam
षट्तन्त्र गुरु संवाद एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो शिव धर्म के बारे में गहन जानकारी प्रदान करता है। यह ग्रंथ शिव भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक है।
षट्तन्त्र गुरु संवाद के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- शिव धर्म एक अद्वैतवादी धर्म है। इसमें शिव को ही सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी माना जाता है।
- शिव धर्म में कर्मकांडों का महत्व है। शिवलिंग की पूजा, शिव मंत्रों का जाप, और शिव स्तोत्रों का पाठ शिव धर्म के प्रमुख कर्मकांड हैं।
- शिव धर्म में योग साधना का भी महत्व है। षट्कर्म योग, क्रियायोग, और ध्यानयोग शिव धर्म की प्रमुख योग साधना हैं।
षट्तन्त्र गुरु संवाद एक प्राचीन ग्रंथ है, लेकिन इसके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। यह ग्रंथ शिव धर्म का एक सरल और सुबोध परिचय प्रदान करता है।
शम्भुस्तवः Shambhustavah
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