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  • Create Date November 17, 2023
  • Last Updated November 17, 2023

शचीतनयाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की पत्नी पार्वती की स्तुति करता है।

शचीतनयाष्टकम् के छंद निम्नलिखित हैं:

shachitanayashtakam

  1. शचीतनयाष्टकम्

  2. नमस्ते शचीतनये हे शची के पुत्री को नमस्कार है।

  3. वरदे गौरीमुखे हे वरदान देने वाली, हे गौरी मुख वाली।

  4. सर्वेश्वराय पार्वतीत्मने हे सर्वेश्वर, हे पार्वती के आत्मा।

  5. भगवते त्रिभुवननाथाय हे भगवान, हे त्रिभुवन के स्वामी।

  6. नमस्ते गंगाधरिणे हे गंगाधरी, हे गंगा धारण करने वाली।

  7. नमस्ते त्रिशूलधारिणे हे त्रिशूलधारी, हे त्रिशूल धारण करने वाली।

  8. नमस्ते पार्वतीरूपिणे हे पार्वती रूपी, हे पार्वती रूपी।

शचीतनयाष्टकम् का अर्थ निम्नलिखित है:

  1. हे शची के पुत्री को नमस्कार है।

  2. हे वरदान देने वाली, हे गौरी मुख वाली।

  3. हे सर्वेश्वर, हे पार्वती के आत्मा।

  4. हे भगवान, हे त्रिभुवन के स्वामी।

  5. हे गंगाधरी, हे गंगा धारण करने वाली।

  6. हे त्रिशूलधारी, हे त्रिशूल धारण करने वाली।

  7. हे पार्वती रूपी, हे पार्वती रूपी।

शचीतनयाष्टकम् एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान पार्वती की सभी लीलाओं और गुणों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र भगवान पार्वती के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भगवान पार्वती की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • भक्ति में वृद्धि होती है।
  • मन शांत और प्रसन्न होता है।
  • दुख और कष्ट दूर होते हैं।
  • सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

शचीतनयाष्टकम् के छंदों में भगवान पार्वती के विभिन्न नामों का उल्लेख किया गया है। ये नाम उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों को दर्शाते हैं।

  • नमस्ते शचीतनये - यह नाम पार्वती के पिता दक्ष के साथ उनके संबंध को दर्शाता है।
  • वरदे गौरीमुखे - यह नाम पार्वती के सौंदर्य और दयालुता को दर्शाता है।
  • सर्वेश्वराय पार्वतीत्मने - यह नाम पार्वती की सर्वेश्वरता और शिव के आत्मा होने को दर्शाता है।
  • भगवते त्रिभुवननाथाय - यह नाम पार्वती की त्रिभुवननाथ होने को दर्शाता है।
  • नमस्ते गंगाधरिणे - यह नाम पार्वती के गंगा को धारण करने की शक्ति को दर्शाता है।
  • नमस्ते त्रिशूलधारिणे - यह नाम पार्वती के त्रिशूल को दर्शाता है।
  • नमस्ते पार्वतीरूपिणे - यह नाम पार्वती के पार्वती रूप को दर्शाता है।

शचीतनयाष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान पार्वती की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


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