- Version
- Download 234
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date November 2, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Vyasmaharshiproktam rudrastotram
व्यास महार्षि द्वारा रचित रुद्रस्तोत्रम् एक प्रसिद्ध शिव स्तोत्र है। यह स्तोत्र 11 श्लोकों में रचित है और इसमें शिव के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन किया गया है।
स्तोत्र का प्रारंभ शिव के त्रिशूल से होता है, जो उनके शक्ति और ज्ञान का प्रतीक है। इसके बाद शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया जाता है, जैसे कि महाकाल, महादेव, नीलकंठ, आदि। शिव को समस्त ब्रह्मांड का सृजनकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता बताया गया है। उन्हें सभी प्राणियों का रक्षक और भक्तों का कल्याण करने वाला बताया गया है।
स्तोत्र के अंत में शिव की स्तुति की जाती है और उनसे सभी प्रकार की मुक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की जाती है।
व्यास महार्षि द्वारा रचित रुद्रस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भक्तों को शांति, ज्ञान और मुक्ति प्रदान करने में सक्षम है।
स्तोत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:
Vyasmaharshiproktam rudrastotram
1. नमस्ते रुद्राय महेश्वराय चन्द्रशेखराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
हे रुद्र, हे महेश्वर, हे चंद्रशेखर, आपको नमस्कार। आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
2. नमस्ते गणपतये, नमस्ते गिरिजापतये, नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
हे गणेश, हे पार्वती के पति, आपको नमस्कार। आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
3. नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
4. नमस्ते नीलकंठाय, नमस्ते त्रिविक्रमाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
हे नीलकंठ, हे त्रिविक्रम, आपको नमस्कार। आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
5. नमस्ते वामदेवाय, नमस्ते अजिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
हे वामदेव, हे अजित, आपको नमस्कार। आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
6. नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
7. नमस्ते शंकराय, नमस्ते भवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
हे शंकर, हे भव, आपको नमस्कार। आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
8. नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
9. नमस्ते त्र्यम्बकाय, नमस्ते त्रिपुरांतकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
हे त्र्यंबक, हे त्रिपुरांतक, आपको नमस्कार। आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
10. नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
11. नमस्ते नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमो नमस्ते।
आपको बार-बार नमस्कार, आपको बार-बार नमस्कार।
अर्थ:
इस स्तोत्र में शिव के विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन किया गया है। शिव को समस्त ब्रह्मांड का सृजनकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता बताया गया है। उन्हें सभी प्राणियों का रक्षक और भक्तों का कल्याण करने वाला बताया गया है।
स्तोत्र के अंत में शिव
व्यासमहर्षिप्रोक्तं रुद्रस्तोत्रम् Vyasmaharshiproktam rudrastotram
Download