• Version
  • Download 577
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित वैराग्य संदीपनी एक छोटी सी रचना है जिसमें कुल 62 छंद (दोहे, चौपाई, सोरठे) हैं। इसका विषय नाम के अनुसार ही वैराग्योपदेश है। इसमें संत-जीवन का वर्णन करते हुए वैराग्य के महत्व को बताया गया है।

वैराग्य संदीपनी में तुलसीदासजी ने वैराग्य को एक प्रकाश के रूप में प्रस्तुत किया है जो मनुष्य को सांसारिक मोह-माया से मुक्त कर देता है। वे कहते हैं कि वैराग्य के बिना कोई भी व्यक्ति मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता।

वैराग्य संदीपनी में तुलसीदासजी ने संत-जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने संतों के गुणों, उनके आचरण और उनके जीवन-दर्शन का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि संत ही वे लोग हैं जो सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं।

वैराग्य संदीपनी एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रंथ है जो आज भी लोगों को वैराग्य प्राप्त करने में प्रेरित करता है।

वैराग्य संदीपनी के कुछ प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:

  • वैराग्य ही मोक्ष का मार्ग है।
  • संत ही वे लोग हैं जो सांसारिक मोह-माया से मुक्त हैं।
  • वैराग्य प्राप्त करने के लिए मनुष्य को सांसारिक मोह-माया से मुक्त होना चाहिए।
  • संत-जीवन का आदर्श है ईश्वर की भक्ति और समाज सेवा।

वैराग्य संदीपनी एक सरल और सुबोध भाषा में लिखी गई है। यह सभी के लिए पढ़ने योग्य है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *