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  • Create Date November 2, 2023
  • Last Updated November 2, 2023

Visvesvaranirajanam

विश्वेश्वरनिराजनम एक स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र शिव पुराण में मिलता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव को विश्वेश्वर, यानी ब्रह्मांड का स्वामी कहा गया है।

विश्वेश्वरनिराजनम में 12 श्लोक हैं। इन श्लोकों में भगवान शिव की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया गया है:

  • वे सर्वशक्तिमान हैं।
  • वे सर्वज्ञ हैं।
  • वे सर्वव्यापी हैं।
  • वे सभी देवताओं के स्वामी हैं।
  • वे ब्रह्मांड के रचयिता हैं।
  • वे संहारकर्ता भी हैं।
  • वे दुखों को दूर करने वाले हैं।
  • वे भक्तों के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

विश्वेश्वरनिराजनम का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।

विश्वेश्वरनिराजनम का पाठ करने का तरीका निम्नलिखित है:

  • सबसे पहले किसी पवित्र स्थान पर बैठ जाएं।
  • फिर, हाथ में जल लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
  • इसके बाद, स्तोत्र का पाठ करें। प्रत्येक श्लोक का पाठ 108 बार करें। स्तोत्र का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।

Visvesvaranirajanam

विश्वेश्वरनिराजनम का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि, प्रातःकाल या शाम के समय इसका पाठ करना श्रेष्ठ माना जाता है।

विश्वेश्वरनिराजनम के कुछ श्लोक इस प्रकार हैं:

श्लोक 1:

नमस्ते विश्वेश्वराय सर्वशक्तिमानाय नमस्ते सर्वज्ञाय सर्वव्यापिनाय नमस्ते देवकुलनाथाय नमस्ते नमस्ते ब्रह्मांडनायकाय नमस्ते

अर्थ:

हे विश्वेश्वर, आप सर्वशक्तिमान हैं। आप सर्वज्ञ हैं और सर्वव्यापी हैं। आप देवताओं के स्वामी हैं। आप ब्रह्मांड के रचयिता हैं।

श्लोक 2:

नमस्ते संहारकाय नमस्ते नमस्ते दुखहरकाय नमस्ते नमस्ते भक्तवत्सलाय नमस्ते नमस्ते सर्वकल्याणदायकाय नमस्ते

अर्थ:

आप संहारकर्ता भी हैं। आप दुखों को दूर करने वाले हैं। आप भक्तों के प्रिय हैं। आप सभी कल्याणों के दाता हैं।

विश्वेश्वरनिराजनम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत प्रभावी है।

ब्रह्मसूत्र Brahmasutra


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