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- Create Date November 10, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Vichitracharitastotram
विचित्रचरितस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की विचित्र लीलाओं का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के मराठी कवि और संत माधव बापट आपटीकर द्वारा रचित है।
स्तोत्र के आठ श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में चार पद हैं। प्रत्येक पद में, आपटीकर शिव की किसी विचित्र लीला का वर्णन करते हैं।
Vichitracharitastotram
उदाहरण के लिए, पहले श्लोक में, आपटीकर शिव को एक भिक्षु के रूप में वर्णित करते हैं जो कण्ठ में विष धारण करते हैं। यह विचित्र विरोधाभास शिव के दोनों पहलुओं को दर्शाता है: एक ओर, वे मृत्यु और विनाश के देवता हैं, और दूसरी ओर, वे जीवन और कल्याण के देवता हैं।
इसी तरह, दूसरे श्लोक में, आपटीकर शिव को एक कामाग्नि धारण करने वाले नर्तक के रूप में वर्णित करते हैं। यह विचित्र संयोजन शिव के दोनों पहलुओं को दर्शाता है: एक ओर, वे कामदेव के शत्रु हैं, और दूसरी ओर, वे प्रेम और सौंदर्य के देवता हैं।
स्तोत्र के अंत में, आपटीकर कहते हैं कि जो कोई भी इस स्तोत्र का प्रतिदिन भक्तिपूर्वक पाठ करता है, उसे शिव की कृपा प्राप्त होती है।
विचित्रचरितस्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो शिव की विविधता और रहस्य को दर्शाता है। यह स्तोत्र शिव भक्तों के बीच लोकप्रिय है और इसका पाठ अक्सर मंदिरों और घरों में किया जाता है।
यहां विचित्रचरितस्तोत्रम् के कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:
- यह स्तोत्र भगवान शिव की विचित्र लीलाओं का वर्णन करता है।
- यह स्तोत्र शिव के दोनों पहलुओं को दर्शाता है: मृत्यु और विनाश के देवता, और जीवन और कल्याण के देवता।
- यह स्तोत्र शिव भक्तों के बीच लोकप्रिय है।
शिव अपराधस्तवः Shiv aparaadhastavah
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