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- Create Date November 16, 2023
- Last Updated November 16, 2023
Vaatulanathsutraani
वातुलनाथसूत्राणि एक प्राचीन ग्रंथ है जो वास्तुकला के नियमों का वर्णन करता है। यह ग्रंथ 100 सूत्रों में विभाजित है। प्रत्येक सूत्र में वास्तुकला के एक विशेष पहलू का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ वास्तुकला के सिद्धांतों और व्यावहारिक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
वातुलनाथसूत्राणि के रचयिता वातुलनाथ थे। वह एक प्रसिद्ध वास्तुकार थे, जिन्होंने 12वीं शताब्दी में इस ग्रंथ की रचना की थी।
वातुलनाथसूत्राणि के कुछ प्रमुख सूत्रों और उनके अर्थ निम्नलिखित हैं:
पहला सूत्र
वास्तुः सर्वार्थसाधनम्
अर्थ:
वास्तुकला सभी उद्देश्यों को प्राप्त करने का साधन है।
दूसरा सूत्र
वास्तुशास्त्रं देवमयी
अर्थ:
वास्तुशास्त्र देवमय है।
तीसरा सूत्र
वास्तुशास्त्रं त्रैलोक्यं परिपालयति
Vaatulanathsutraani
अर्थ:
वास्तुशास्त्र तीनों लोकों की रक्षा करता है।
वातुलनाथसूत्राणि एक शक्तिशाली ग्रंथ है जो वास्तुकला के सिद्धांतों और व्यावहारिक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह ग्रंथ वास्तुकारों के लिए एक मार्गदर्शिका है और आम लोगों के लिए भी उपयोगी है।
वातुलनाथसूत्राणि के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:
- यह ग्रंथ वास्तुकला के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करता है।
- यह ग्रंथ वास्तुकला के विभिन्न घटकों का वर्णन करता है।
- यह ग्रंथ वास्तुकला के निर्माण के नियमों का वर्णन करता है।
वातुलनाथसूत्राणि एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो वास्तुकला के अध्ययन और अभ्यास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विश्वनाथनगरीस्तोत्रम् Vishwanathnagaristotram
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