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- Create Date November 10, 2023
- Last Updated July 29, 2024
लीलाशतानामास्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की लीलाओं की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 100 नामों से भगवान विष्णु की स्तुति करता है।
लीलाशतानामास्तोत्रम् की रचना 13वीं शताब्दी के कवि वात्स्यायन त्रिपाठी ने की थी। यह स्तोत्र "लीलाशतकम्" के नाम से भी जाना जाता है।
लीलाशतानामास्तोत्रम् के नाम इस प्रकार हैं:
leelaashatanaamastotram
- लीलाशतानामस्तोत्रम्
- लीलाशतकम्
- श्रीविष्णुलीलाशतानामस्तोत्रम्
- श्रीविष्णुलीलाशतकम्
- श्रीविष्णुलीलाशतानामस्तोत्रम् वात्स्यायनकृतम्
लीलाशतानामास्तोत्रम् का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु की लीलाओं से परिचित कराता है और उन्हें भगवान विष्णु में भक्ति उत्पन्न करता है।
लीलाशतानामास्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण नाम इस प्रकार हैं:
- अवतार: भगवान विष्णु ने विभिन्न अवतारों में पृथ्वी पर अवतार लिया है। इन अवतारों में राम, कृष्ण, वामन, मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, हयग्रीव, कूर्म, गरुड़, आदि शामिल हैं।
- लीला: भगवान विष्णु ने अपनी लीलाओं से सभी को मोहित किया है। इन लीलाओं में बाल लीला, गोप लीला, रास लीला, आदि शामिल हैं।
- गुण: भगवान विष्णु के अनेक गुण हैं। इन गुणों में दया, करुणा, न्याय, शक्ति, ज्ञान, आदि शामिल हैं।
- शक्ति: भगवान विष्णु सर्वशक्तिमान हैं। वे सभी शक्तियों के स्वामी हैं।
- महिमा: भगवान विष्णु की महिमा अपार है। वे सभी देवताओं के स्वामी हैं।
लीलाशतानामास्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की लीलाओं का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु में भक्ति उत्पन्न करता है।
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