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  • Create Date October 11, 2023
  • Last Updated October 11, 2023

श्रीरामष्टकम्

श्लोक 5

रामो राजमणि राजाधिराजो नमो नमस्ते, सर्वेश्वरो धन्यः सर्वलोकेश्वरो नमो नमस्ते।

अर्थ:

हे राम, तुम राजाधिराज हो, तुम सभी राजाओं के राजा हो। तुम सर्वेश्वर हो, तुम सभी लोकों के स्वामी हो। मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं।

शाब्दिक अर्थ:

  • रामो - राम
  • राजमणि - राजाओं का रत्न
  • राजाधिराजो - सभी राजाओं के राजा
  • नमो नमस्ते - मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं
  • सर्वेश्वरो - सर्वेश्वर, सभी देवताओं के देवता
  • धन्यः - धन्य
  • सर्वलोकेश्वरो - सभी लोकों के स्वामी

विशेषताएं:

  • यह स्तोत्र तुलसीदास द्वारा रचित है।
  • यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है।
  • प्रत्येक श्लोक में, राम के विभिन्न गुणों और विशेषताओं की प्रशंसा की जाती है।
  • यह स्तोत्र राम भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

फलश्रुति:

जो कोई इस श्रीरामष्टक का पाठ करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

अनुवाद:

हे राम, तुम राजाधिराज हो, तुम सभी राजाओं के राजा हो। तुम सर्वेश्वर हो, तुम सभी लोकों के स्वामी हो। मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं।

हे राम, तुम एक रत्न हो, तुम सभी राजाओं के राजा हो। तुम सर्वेश्वर हो, तुम सभी देवताओं के देवता हो। तुम धन्य हो, और तुम सभी लोकों के स्वामी हो। मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं।


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