- Version
- Download 257
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date November 10, 2023
- Last Updated November 10, 2023
Ramanathashtakam
रामनाथष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की रामनाथ रूप की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि और संत नरहरि द्वारा रचित है।
स्तोत्र के आठ श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में आठ पद हैं। प्रत्येक पद में, नरहरि भगवान शिव की रामनाथ रूप की एक विशेषता का वर्णन करते हैं।
उदाहरण के लिए, पहले श्लोक में, नरहरि भगवान शिव को गजाजिन, यानी "हाथी का दांत धारण करने वाले" के रूप में वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव का दांत सभी पापों को नष्ट करने वाला है। दूसरे श्लोक में, वे भगवान शिव को शूलकपालपाणिनं, यानी "शूल और कपाल धारण करने वाले" के रूप में वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव के शूल और कपाल सभी दुखों को दूर करने वाले हैं।
स्तोत्र के अंत में, नरहरि कहते हैं कि जो कोई भी इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
रामनाथष्टकम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो भगवान शिव की महिमा और शक्ति को दर्शाता है। यह स्तोत्र शिव भक्तों के बीच लोकप्रिय है और इसका पाठ अक्सर मंदिरों और घरों में किया जाता है।
स्तोत्र का हिंदी अनुवाद:
श्लोक 1
नरहरि ने कहा, "हे रामनाथ, तुम गजाजिन हो, यानी तुम्हारे हाथ में हाथी का दांत है। यह दांत सभी पापों को नष्ट करने वाला है।"
श्लोक 2
"हे रामनाथ, तुम शूलकपालपाणिनं हो, यानी तुम्हारे हाथ में शूल और कपाल है। यह शूल और कपाल सभी दुखों को दूर करने वाले हैं।"
श्लोक 3
Ramanathashtakam
"हे रामनाथ, तुम जटाधरं हो, यानी तुम्हारे सिर पर जटा है। यह जटा समस्त ज्ञान और भक्ति का भंडार है।"
श्लोक 4
"हे रामनाथ, तुम चन्द्रकलावतंसं हो, यानी तुम्हारे मस्तक पर चंद्रमा है। यह चंद्रमा सभी प्रकार की सुखों का प्रतीक है।"
श्लोक 5
"हे रामनाथ, तुम त्रिनेत्रं हो, यानी तुम्हारे तीन नेत्र हैं। ये तीन नेत्र समस्त ब्रह्मांड को देख सकते हैं।"
श्लोक 6
"हे रामनाथ, तुम सर्वपापक्षयविनाशकं हो, यानी तुम सभी पापों का नाश करने वाले हो।"
श्लोक 7
"हे रामनाथ, तुम सर्वमंगलप्रदं हो, यानी तुम सभी मंगलों को देने वाले हो।"
श्लोक 8
"हे रामनाथ, तुम सर्वशक्तिमानं हो, यानी तुम सर्वशक्तिमान हो। तुम सब कुछ कर सकते हो।"
"हे रामनाथ, जो कोई भी तुम्हारे इस रूप की पूजा करता है, उसे तुम्हारी कृपा प्राप्त होती है।"
कुछ विशेष टिप्पणियां:
- रामनाथ शब्द का अर्थ है "राम का नाथ", यानी "राम का स्वामी"। यह शब्द भगवान शिव को राम के गुरु और संरक्षक के रूप में संदर्भित करता है।
- रामनाथष्टकम् में भगवान शिव की रामनाथ रूप की विशेषताओं का वर्णन किया गया है। यह रूप भगवान शिव का एक लोकप्रिय रूप है और इसे अक्सर मंदिरों और घरों में पूजा जाता है।
- स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सकती है।
रुद्रकवचम् ( स्कंदपुराण ) Rudrakavacham (Skandapurana)
Download