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- Create Date October 10, 2023
- Last Updated July 29, 2024
रामस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान राम की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के कवि और संत, श्रीपदाचार्य द्वारा लिखा गया था।
रामस्तोत्रम् के 10 श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक में भगवान राम के एक अलग गुण या रूप का वर्णन किया गया है।
रामस्तोत्रम् का पहला श्लोक इस प्रकार है:
अगणितगुणमप्रमेयमाद्यं सकलजगत्स्थितिसंयमादिहेतुम् । उपरमपरमपदमप्रमेयं रामचंद्रं भजेऽहम् ।।
इस श्लोक में, श्रीपदाचार्य भगवान राम को "अगणितगुणमप्रमेयम" कहते हैं, जिसका अर्थ है "अगणित गुणों वाला, जिसे मापा नहीं जा सकता"। वे कहते हैं कि भगवान राम "सकलजगत्स्थितिसंयमादिहेतुम्" हैं, जिसका अर्थ है "सभी संसार की स्थिति और नियमन के कारण"। वे कहते हैं कि भगवान राम "उपरमपरमपदमप्रमेयं" हैं, जिसका अर्थ है "अप्राप्य, परम पद"।
रामस्तोत्रम् के 10 श्लोकों का अर्थ है:
- श्लोक 1: भगवान राम को नमस्कार।
- श्लोक 2: भगवान राम को गुणों और शक्तियों का भंडार बताया गया है।
- श्लोक 3: भगवान राम को सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता के रूप में वर्णित किया गया है।
- श्लोक 4: भगवान राम को ज्ञान और विवेक के दाता के रूप में वर्णित किया गया है।
- श्लोक 5: भगवान राम को करुणा और दया के सागर के रूप में वर्णित किया गया है।
- श्लोक 6: भगवान राम को भक्तों के रक्षक के रूप में वर्णित किया गया है।
- श्लोक 7: भगवान राम की पूजा और आराधना का महत्व।
- श्लोक 8: भगवान राम की कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ।
- श्लोक 9: भगवान राम की स्तुति के लिए एक प्रार्थना।
रामस्तोत्रम् एक शक्तिशाली भक्ति भजन है जो भक्तों के दिलों में भगवान राम के लिए प्रेम और भक्ति को जगा सकता है। यह भजन भगवान राम की महिमा और गुणों को दर्शाता है।
रामस्तोत्रम् के 10 श्लोकों का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:
- हे भगवान राम, आपको नमस्कार।
- आपके गुणों और शक्तियों की कोई सीमा नहीं है।
- आप सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं।
- आप ज्ञान और विवेक के दाता हैं।
- आप करुणा और दया के सागर हैं।
- आप भक्तों के रक्षक हैं।
- आपकी पूजा और आराधना करना सभी के लिए लाभदायक है।
- आपकी कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- हे भगवान राम, आपकी स्तुति करने के लिए हमें शक्ति दें।
रामस्तोत्रम् एक लोकप्रिय स्तोत्र है जिसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों के दौरान पढ़ा जाता है। यह भजन भक्तों को भगवान राम की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
यहां रामस्तोत्रम् का एक उदाहरण है:
अगणितगुणमप्रमेयमाद्यं सकलजगत्स्थितिसंयमादिहेतुम् । उपरमपरमपदमप्रमेयं रामचंद्रं भजेऽहम् ।।
इस श्लोक का अर्थ है:
अगणित गुणों वाला, जिसे मापा नहीं जा सकता, सभी संसार की स्थिति और नियमन के कारण, अप्राप्य, परम पद, भगवान राम को मैं भजता हूं।
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