- Version
- Download 46
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date November 2, 2023
- Last Updated November 2, 2023
रतिकृता शिवस्तुतिः Ratikrita Shivstutih
Ratikrita Shivstutih
रतीकृत्रि शिवस्तुति एक स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र ऋषि रतीक द्वारा रचित है।
रतीकृत्रि शिवस्तुति में 10 श्लोक हैं। इन श्लोकों में भगवान शिव की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया गया है:
- वे सर्वशक्तिमान हैं।
- वे सर्वज्ञ हैं।
- वे सर्वव्यापी हैं।
- वे सभी देवताओं के स्वामी हैं।
- वे ब्रह्मांड के रचयिता हैं।
- वे संहारकर्ता भी हैं।
- वे दुखों को दूर करने वाले हैं।
- वे भक्तों के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
रतीकृत्रि शिवस्तुति का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
रतीकृत्रि शिवस्तुति का पाठ करने का तरीका निम्नलिखित है:
- सबसे पहले किसी पवित्र स्थान पर बैठ जाएं।
- फिर, हाथ में जल लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
- इसके बाद, स्तोत्र का पाठ करें। प्रत्येक श्लोक का पाठ 108 बार करें। स्तोत्र का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
Ratikrita Shivstutih
रतीकृत्रि शिवस्तुति के कुछ श्लोक इस प्रकार हैं:
श्लोक 1:
नमस्तुभ्यं सर्वशक्तिमानाय नमस्ते सर्वज्ञरूपाय नमस्ते सर्वव्यापिने नमस्ते सर्वाधारकाय
अर्थ:
हे सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञरूप, सर्वव्यापी और सर्वाधार भगवान शिव, आपको नमस्कार।
श्लोक 2:
नमस्ते ब्रह्मणे नमस्ते विष्णवे नमस्ते महेश्वराय नमस्ते सर्वात्मने
अर्थ:
हे ब्रह्मा, हे विष्णु, हे महेश्वर, हे सर्वात्मा, आपको नमस्कार।
श्लोक 3:
नमस्ते रुद्राय नमस्ते नीलकंठाय नमस्ते शम्भवाय नमस्ते महेश्वराय
अर्थ:
हे रुद्र, हे नीलकंठ, हे शम्भु, हे महेश्वर, आपको नमस्कार।
रतीकृत्रि शिवस्तुति एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत प्रभावी है।