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- Create Date October 10, 2023
- Last Updated July 29, 2024
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो हिंदू देवी सरस्वती की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 1000 नामों से बना है, जो सरस्वती के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन करते हैं।
सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और प्रकृति की देवी माना जाता है। वह ब्रह्मा, विष्णु और शिव के साथ सृष्टि, पालन और संहार के तीनों कार्यों में सहायता करती हैं।
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। यह स्तोत्र ज्ञान, बुद्धि, कला और रचनात्मकता के लिए एक शक्तिशाली साधन माना जाता है।
स्तोत्र का आरंभ इस प्रकार है:
ओम नमस्ते भगवती
सरस्वती नमो नमः
अर्थ:
हे भगवती सरस्वती, आपको नमस्कार।
स्तोत्र के कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
- विद्यादायिनी: ज्ञान प्रदान करने वाली
- वाणी: वाणी की देवी
- कलावती: कलाओं की देवी
- विद्यारूपिणी: ज्ञान का रूप
- बुद्धिदा: बुद्धि प्रदान करने वाली
- ज्ञानदा: ज्ञान प्रदान करने वाली
- कलादा: कला प्रदान करने वाली
- स्वर्णवर्णा: सोने की तरह चमकने वाली
- पद्मासना: कमल पर विराजमान
- वीणावादिनी: वीणा बजाने वाली
- हंसवाहिनी: हंस पर सवार
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से ज्ञान, बुद्धि, कला और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। यह स्तोत्र छात्रों, विद्वानों, कलाकारों और सभी ज्ञान के अनुरागी लोगों के लिए लाभकारी है।
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ निम्नलिखित विधि से किया जाता है:
- सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर बैठकर हाथ जोड़कर देवी सरस्वती का ध्यान करें।
- फिर, स्तोत्र का पाठ करें, प्रत्येक नाम का ध्यानपूर्वक अर्थ समझते हुए।
- स्तोत्र का पाठ 108 बार या अधिक बार करना लाभदायक होता है।
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से ज्ञान, बुद्धि, कला और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। यह स्तोत्र छात्रों, विद्वानों, कलाकारों और सभी ज्ञान के अनुरागी लोगों के लिए लाभकारी है।
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