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- Create Date November 4, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Maharudrastotram
महारुद्रस्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के रुद्र रूप की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12 श्लोकों का है और इसे 13वीं शताब्दी के एक महान वैष्णव संत, श्रीनिवासाचार्य ने लिखा था।
स्तोत्र की शुरुआत में, भक्त भगवान शिव को नमस्कार करते हैं और उनकी महिमा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव ही सृष्टि, पालन और संहार के देवता हैं। वे ही ब्रह्मांड के सर्वोच्च भगवान हैं।
फिर, भक्त भगवान शिव के रुद्र रूप की स्तुति करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव का रुद्र रूप सभी दुखों और कष्टों को दूर करने वाला है। वे ही मोक्ष के मार्ग को दिखाने वाले हैं।
स्तोत्र की अंतिम श्लोकों में, भक्त भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें अपने दर्शन दें और उन्हें अपने मार्ग पर चलने की शक्ति दें।
महारुद्रस्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की भक्ति के लिए एक उत्कृष्ट मार्गदर्शक है। यह स्तोत्र उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
स्तोत्र का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:
Maharudrastotram
महारुद्रस्तोत्र
नमस्ते रुद्राय नमस्ते रुद्राय।नमस्ते शर्वाय नमस्ते शर्वाय।
नमस्ते अघोराय नमस्ते अघोराय।नमस्ते भैरवाय नमस्ते भैरवाय।
नमस्ते त्रिपुरान्तकाय नमस्ते त्रिपुरान्तकाय।नमस्ते त्रिनेत्राय नमस्ते त्रिनेत्राय।
नमस्ते पंचमुखाय नमस्ते पंचमुखाय।नमस्ते त्रिशूलधारकाय नमस्ते त्रिशूलधारकाय।
नमस्ते वृषभवाहकाय नमस्ते वृषभवाहकाय।नमस्ते चंद्रमौलिकाय नमस्ते चंद्रमौलिकाय।
नमस्ते गंगाधारकाय नमस्ते गंगाधारकाय।नमस्ते मृत्युंजयाय नमस्ते मृत्युंजयाय।
नमस्ते कालभैरवाय नमस्ते कालभैरवाय।नमस्ते सर्वभूतनाथाय नमस्ते सर्वभूतनाथाय।
नमस्ते सर्वशक्तिमानाय नमस्ते सर्वशक्तिमानाय।नमस्ते सर्वकारणाय नमस्ते सर्वकारणाय।
नमस्ते सर्वज्ञाय नमस्ते सर्वज्ञाय।नमस्ते सर्वशरणाय नमस्ते सर्वशरणाय।
नमस्ते सर्वशक्तिदायकाय नमस्ते सर्वशक्तिदायकाय।नमस्ते सर्वदुःखनाशकाय नमस्ते सर्वदुःखनाशकाय।
नमस्ते सर्वमोक्षदायकाय नमस्ते सर्वमोक्षदायकाय।प्रभो, दर्शनं देहि मे।
Maharudrastotram
अर्थ:
हे रुद्र, आपको नमस्कार।हे शंकर, आपको नमस्कार।
हे अघोर, आपको नमस्कार।हे भैरव, आपको नमस्कार।
हे त्रिपुरान्तक, आपको नमस्कार।हे त्रिनेत्र, आपको नमस्कार।
हे पंचमुख, आपको नमस्कार।हे त्रिशूलधारी, आपको नमस्कार।
हे वृषभवाहक, आपको नमस्कार।हे चंद्रमौली, आपको नमस्कार।
हे गंगाधारी, आपको नमस्कार।हे मृत्युंजय, आपको नमस्कार।
हे कालभैरव, आपको नमस्कार।हे सर्वभूतनाथ, आपको नमस्कार।
हे सर्वशक्तिमान, आपको नमस्कार।हे सर्वकारण, आपको नमस्कार।
हे सर्वज्ञ, आपको नमस्कार।हे सर्वशरण, आपको नमस्कार।
हे सर्वशक्तिदायक, आपको नमस्कार।हे सर्वदुःखनाशक, आपको नमस्कार।
हे सर्वमोक्षदायक, आपको नमस्कार।प्रभो, मुझे दर्शन दीजिए।
मुनयःकृता महाकाललिङ्गस्तुतिः Munayahkrita Mahakaallingastutih
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