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- Create Date November 25, 2023
- Last Updated November 25, 2023
महादेवाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक आठ चरणों का होता है।
महादेवाष्टकम् की रचना 12वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि अद्वैताचार्य ने की थी। अद्वैताचार्य एक महान दार्शनिक और भक्ति संत थे।
महादेवाष्टकम् में अद्वैताचार्य भगवान शिव की स्तुति करते हैं। वे शिव के रूप, गुणों और शक्तियों की प्रशंसा करते हैं। वे शिव को ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता मानते हैं।
महादेवाष्टकम् शिव भक्ति का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र शिव भक्तों को शिव की महिमा का अनुभव कराता है।
महादेवाष्टकम् के आठ श्लोक इस प्रकार हैं:
Mahadevashtakam
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अर्थ: हे महादेव, आप ही ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं। आप ही समस्त देवताओं के स्वामी हैं। आप ही सर्वशक्तिमान हैं।
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अर्थ: हे महादेव, आपके त्रिशूल से ब्रह्मांड में व्याप्त अज्ञान और दुख का नाश होता है। आपके जटाजूट से गंगा बहती है, जो मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है।
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अर्थ: हे महादेव, आपके त्रिनेत्र से ज्ञान का प्रकाश फैलता है। आपके ध्वज पर स्थित मयूर का अर्थ है, कि आप सांसारिक मोह-माया को दूर करने में सक्षम हैं।
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अर्थ: हे महादेव, आपके गले में सर्पों का हार है, जो आपकी अनंत शक्ति और ज्ञान का प्रतीक है। आपकी पत्नी पार्वती आपके साथ सदा रहती हैं और आपके सभी कार्यों में सहायता करती हैं।
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अर्थ: हे महादेव, आपके नंदी बैल आपकी वाहन हैं, जो आपकी स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक हैं। आपके भक्तों को आप हमेशा अपनी कृपा से फल देते हैं।
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अर्थ: हे महादेव, आप सभी देवताओं के स्वामी हैं। आप सभी प्राणियों के रक्षक हैं। आप सभी दुखों को दूर करने वाले हैं।
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अर्थ: हे महादेव, आप ही परम सत्य हैं। आप ही ब्रह्मांड की आत्मा हैं। आप ही सभी प्राणियों में विद्यमान हैं।
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अर्थ: हे महादेव, मैं आपका भक्त हूँ। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे अपने मार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करें।
महादेवाष्टकम् शिव भक्ति के क्षेत्र में एक अमूल्य धरोहर है। यह स्तोत्र शिव भक्तों को शिव की महिमा का अनुभव कराता है।
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