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  • Create Date November 4, 2023
  • Last Updated November 4, 2023

Mahadevstuti: Varapraptyaartham Parvatikrita

महादेवस्तुति: वरप्राप्तिार्थं पार्वतीकृत एक संस्कृत स्तुति है जो भगवान शिव की स्तुति करती है। यह स्तुति 100 श्लोकों की है और इसे 10वीं शताब्दी के एक महान वैष्णव संत, शंकराचार्य ने लिखा था।

स्तुति की शुरुआत में, पार्वती भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि वे उन्हें अपने दर्शन दें और उन्हें अपने मार्ग पर चलने की शक्ति दें। वे भगवान शिव को समस्त ब्रह्मांड का स्वामी और सभी देवताओं का गुरु कहते हैं।

फिर, पार्वती भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव ही सृष्टि, पालन और संहार के देवता हैं। वे ही ब्रह्मांड के सर्वोच्च भगवान हैं।

स्तुति की अंतिम श्लोकों में, पार्वती भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि वे उन्हें वरदान दें। वे कहते हैं कि वे भगवान शिव से मोक्ष और ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं।

महादेवस्तुति: वरप्राप्तिार्थं पार्वतीकृत एक शक्तिशाली स्तुति है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और सभी प्रकार की इच्छाओं को पूरा करने के लिए उपयोग की जा सकती है..

Mahadevstuti: Varapraptyaartham Parvatikrita

स्तुति का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

महादेवस्तुति: वरप्राप्तिार्थं पार्वतीकृत

श्लोक 1

देवदेव महादेव नमस्ते।गुरुदेव साक्षात नमस्ते।सर्वदेवानां ईश्वर नमस्ते।ब्रह्माण्डनाथ नमस्ते।

अर्थ:

हे देवों के देव, भगवान शिव, आपको नमस्कार।हे गुरुदेव, आपको नमस्कार।सभी देवताओं के ईश्वर, आपको नमस्कार।ब्रह्ांड के स्वामी, आपको नमस्कार।

श्लोक 2

सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता, संहारकर्ता।त्रिगुणमय, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान।त्र्यम्बक, त्रिपुरांतक, मृत्युंजय।भगवान् शिव, आपको नमस्कार।

अर्थ:

सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता, संहारकर्ता।त्रिगुणमय, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान।त्र्यंबक, त्रिपुरांतक, मृत्युंजय।भगवान शिव, आपको नमस्कार।

श्लोक 3

गंगाधर, चंद्रमौली, वृषभवाहन।शिवलिंगधारी, नंदीश्वर।भूतनाथ, निराकार, निर्विकार।भगवान् शिव, आपको नमस्कार।

अर्थ:

गंगाधर, चंद्रमौली, वृषभवाहन।शिवलिंगधारी, नंदीश्वर।भूतनाथ, निराकार, निर्विकार।भगवान शिव, आपको नमस्कार।

श्लोक 4

भस्मधारी, भैरव, कालभैरव।सर्वभूतों के स्वामी, आप ही।मोक्षदाता, ज्ञानदाता, आप ही।भगवान् शिव, आपको नमस्कार।

अर्थ:

भस्मधारी, भैरव, कालभैरव।सभी भूतों के स्वामी, आप ही।मोक्षदाता, ज्ञानदाता, आप ही।भगवान शिव, आपको नमस्कार।

श्लोक 5

देवी पार्वती प्रार्थना करती हैं:

हे भगवान शिव, मुझे अपने दर्शन दीजिए।मुझे अपने मार्ग पर चलने की शक्ति दीजिए।मैं आपकी भक्ति करना चाहती हूं।मुझे आपकी कृपा प्राप्त करने दीजिए।

अर्थ:

देवी पार्वती प्रार्थना करती हैं:

हे भगवान शिव, मुझे अपने दर्शन दीजिए।मुझे अपने मार्ग पर चलने की शक्ति दीजिए।मैं आपकी भक्ति करना चाहती हूं।मुझे आपकी कृपा प्राप्त करने दीजिए।

श्लोक 6

**हे 

महामृत्युञ्जयकवचम् २ Mahamrityunjayakavacham 2


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