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- Create Date October 8, 2023
- Last Updated July 29, 2024
महागणपत्येकविंशतिनामस्तोत्रम् २१ श्लोकों का एक स्तोत्र है जो भगवान गणेश की २१ नामों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है। स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक में, गणेश के एक विशेष नाम का वर्णन किया गया है और उसके अर्थ का भी उल्लेख किया गया है।
स्तोत्र की शुरुआत भगवान गणेश के नमस्कार के साथ होती है। इसके बाद, प्रत्येक श्लोक में गणेश के एक नाम का वर्णन किया गया है और उसके अर्थ का भी उल्लेख किया गया है। स्तोत्र के अंत में, गणेश से प्रार्थना की जाती है कि वह भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाएं।
महागणपत्येकविंशतिनामस्तोत्रम् एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भक्तों को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
स्तोत्र के २१ नाम इस प्रकार हैं:
- गणेश
- गणाधिपति
- एकदंत
- विघ्नहर्ता
- विनायक
- ऋद्धिसिद्धिप्रदाता
- धूम्रकेतु
- सिद्धिविनायक
- विद्याविनायक
- सुमुख
- एकदंत
- कपिल
- गजवदन
- लम्बोदर
- विकट
- विघ्नराज
- धूम्रकेतु
- एकदंत
- गणेश
स्तोत्र के अर्थ इस प्रकार हैं:
- गणेश: गणों के स्वामी
- गणाधिपति: गणों के नेता
- एकदंत: एक दांत वाला
- विघ्नहर्ता: विघ्नों को हरने वाला
- विनायक: विजय प्रदान करने वाला
- ऋद्धिसिद्धिप्रदाता: ऋद्धि और सिद्धि प्रदान करने वाला
- धूम्रकेतु: धूम्रकेतु के समान
- सिद्धिविनायक: सिद्धियों को प्रदान करने वाला
- विद्याविनायक: विद्या प्रदान करने वाला
- सुमुख: सुंदर मुख वाला
- एकदंत: एक दांत वाला
- कपिल: सुनहरे रंग वाला
- गजवदन: हाथी के समान मुख वाला
- लम्बोदर: बड़े पेट वाला
- विकट: भयंकर
- विघ्नराज: विघ्नों का राजा
- धूम्रकेतु: धूम्रकेतु के समान
- एकदंत: एक दांत वाला
- गणेश: गणों के स्वामी
महागणपत्येकविंशतिनामस्तोत्रम् का पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
- सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- ऋद्धि और सिद्धि प्राप्त होती है।
- बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है।
- सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
यदि आप भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आपको महागणपत्येकविंशतिनामस्तोत्रम् का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।