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- Create Date October 7, 2023
- Last Updated October 7, 2023
कमल अष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए गाया जाता है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों का है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान विष्णु के एक अलग रूप की स्तुति की जाती है।
कमल अष्टकम् की रचना 13वीं शताब्दी में हुई थी, और इसका श्रेय संत जयदेव को दिया जाता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के अवतारों में से एक, भगवान कृष्ण की भी स्तुति करता है।
कमल अष्टकम् के श्लोक इस प्रकार हैं:
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हे कमल की नाभि में उत्पन्न हुए, हे कमल के आसन पर विराजमान, हे कमल के समान सुंदर, हे कमल के समान मुख वाले, हे कमल के समान नेत्र वाले, हे कमल के समान हृदय वाले, हे कमल के समान चरणों वाले, हे कमल के समान स्वरूप वाले, हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार है।
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हे सर्वव्यापी, हे सर्वशक्तिमान, हे सर्वज्ञ, हे सर्व-कल्याणकारी, हे परम सत्य, हे परम आनंद, हे परम ब्रह्म, हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार है।
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हे शेषनाग पर शयन करने वाले, हे लक्ष्मीपति, हे गरुड़ पर सवार, हे चक्रधारी, हे शंखधारी, हे परशुधारी, हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार है।
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हे अवतारों के रूप में प्रकट होने वाले, हे राम, हे कृष्ण, हे वामन, हे मत्स्य, हे कूर्म, हे नरसिंह, हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार है।
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हे त्रिमूर्ति के रूप में प्रकट होने वाले, हे ब्रह्मा, हे विष्णु, हे शिव, हे परम सत्य, हे परम आनंद, हे परम ब्रह्म, हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार है।
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हे सर्वशक्तिमान, हे सर्वज्ञ, हे सर्व-कल्याणकारी, हे परम सत्य, हे परम आनंद, हे परम ब्रह्म, हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार है।
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हे कमल की नाभि में उत्पन्न हुए, हे कमल के आसन पर विराजमान, हे कमल के समान सुंदर, हे कमल के समान मुख वाले, हे कमल के समान नेत्र वाले, हे कमल के समान हृदय वाले, हे कमल के समान चरणों वाले, हे कमल के समान स्वरूप वाले, हे भगवान विष्णु, आपको नमस्कार है।
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हे भगवान विष्णु, आपके चरणों में मैं अपना सिर झुकाता हूं, और आपकी कृपा की कामना करता हूं।
कमल अष्टकम् का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, और यह भक्तों को शांति और आनंद प्रदान करता है।
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