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  • Create Date October 8, 2023
  • Last Updated October 8, 2023
मंगलाचरण वह श्लोक अथवा पद्य जो शुभ कार्य के पहले मंगल कामना से पढ़ा या कहा जाता है, उसे मङ्गलाचरण कहते हैं। अर्थात किसी का कार्य श्रीगणेश करने से पहले पढ़ा जानेवाला कोई मांगलिक मंत्र, श्लोक या पद्यमय रचना। प्रायः ग्रन्थों के आरम्भ में उनकी सफल समाप्ति के निमित्त श्लोक या पद्य लिखा जाता है।

मंगलाचरण के प्रकार:

  • वस्तुनिर्देशात्मक मंगलाचरण: इस प्रकार के मंगलाचरण में किसी वस्तु या विषय की महिमा का वर्णन किया जाता है।
  • आशीर्वादात्मक मंगलाचरण: इस प्रकार के मंगलाचरण में किसी व्यक्ति या समूह को आशीर्वाद दिया जाता है।
  • नमस्कारात्मक मंगलाचरण: इस प्रकार के मंगलाचरण में किसी देवता या गुरु को नमस्कार किया जाता है।
  • उपासनात्मक मंगलाचरण: इस प्रकार के मंगलाचरण में किसी देवता या गुरु की आराधना की जाती है।

मंगलाचरण के कुछ उदाहरण:

  • वस्तुनिर्देशात्मक मंगलाचरण:
ओम नमस्ते गणपतये
वक्रतुण्डाय हवामहे
कपिथम्बकाय धीमहि
तन्नो दंष्ट्रो प्रचोदयात्

इस मंगलाचरण में भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है।

  • आशीर्वादात्मक मंगलाचरण:
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्

इस मंगलाचरण में सभी प्राणियों के सुख और समृद्धि की कामना की गई है।

  • नमस्कारात्मक मंगलाचरण:
अज्ञानतिमिरान्धस्य
ज्ञानांजनशलाकया
चक्षुरुन्नमीलितं येन
तस्मै श्रीगुरवे नमः

इस मंगलाचरण में गुरु को नमस्कार किया गया है।

  • उपासनात्मक मंगलाचरण:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नमस्ते देव नमस्ते देव
नमस्ते देव नमस्ते देव
नमस्ते देव नमस्ते देव

इस मंगलाचरण में भगवान विष्णु की आराधना की गई है।

मंगलाचरण का महत्व:

मंगलाचरण का महत्व है कि यह किसी भी कार्य की शुरुआत में शुभता और सफलता की कामना करता है। यह किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पहले किए जाने वाले एक प्रकार के आशीर्वाद और प्रार्थना है। मंगलाचरण से कार्य की सफलता की संभावना बढ़ जाती है और व्यक्ति को मनोबल मिलता है।


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