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  • Create Date October 9, 2023
  • Last Updated October 9, 2023
पितृसूक्त एक मंत्र है जो पितरों की पूजा के लिए किया जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है, और इसे अक्सर श्राद्ध के अवसर पर पढ़ा जाता है।

पितृसूक्त के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह पितरों को प्रसन्न करता है।
  • यह भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
  • यह भक्तों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।

पितृसूक्त को नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों को अपने पूर्वजों के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। यह भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों स्तरों पर सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

पितृसूक्त के कुछ महत्वपूर्ण छंद निम्नलिखित हैं:

श्लोक 1:

नमस्ते अस्तु भगवन्तो पितरो वसुन्धरागत। यत्कृतं पुण्यकर्माणि तेभिर्वै स्मराम्यहम्।

अर्थ:

हे पितरों, जो आप पृथ्वी से आए हैं, आपको नमस्कार। मैं आपके द्वारा किए गए सभी पुण्य कर्मों को याद करता हूं।

श्लोक 2:

नमस्ते अस्तु भगवन्तो पितरो नृमत्सर। यत्कृतं पापकर्माणि तेभिर्वै स्मराम्यहम्।

अर्थ:

हे पितरों, जो आप मनुष्य रूप में आए हैं, आपको नमस्कार। मैं आपके द्वारा किए गए सभी पाप कर्मों को याद करता हूं।

श्लोक 3:

नमस्ते अस्तु भगवन्तो पितरो पितृगणा। यत्कृतं सर्वकर्माणि तेभिर्वै स्मराम्यहम्।

अर्थ:

हे पितरों, जो आप पितृगणों में से हैं, आपको नमस्कार। मैं आपके द्वारा किए गए सभी कार्यों को याद करता हूं।

श्लोक 4:

पितृभ्यो नमस्ते पितृभ्यो नमस्ते पितृभ्यो। सर्वेभ्यो नमस्ते पितृभ्यो पितृभ्यो नमस्ते।

अर्थ:

हे पितरों, आपको नमस्कार, आपको नमस्कार, आपको नमस्कार। मैं सभी पितरों को नमस्कार करता हूं।

पितृसूक्त को पढ़ने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:

  • पितृसूक्त को एक शांत और ध्यान केंद्रित करने वाले स्थान पर पढ़ना चाहिए।
  • पितृसूक्त को धीरे-धीरे और ध्यान से पढ़ना चाहिए।
  • पितृसूक्त को पढ़ते समय, भक्त को पितरों की छवि या मूर्ति के सामने बैठना चाहिए और उनकी स्तुति करनी चाहिए।

पितृसूक्त एक शक्तिशाली मंत्र है जो भक्तों को अपने पूर्वजों के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों स्तरों पर सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


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