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  • Create Date October 3, 2023
  • Last Updated October 3, 2023

पितृसूक्तम् Pitrisuktam

पितृसूक्तम् एक संस्कृत सूक्त है जो ऋग्वेद के दसवें मण्डल में स्थित है। यह सूक्त पितरों की स्तुति करता है। पितृसूक्त में, ऋषि पितरों को विभिन्न रूपों और नामों से पुकारते हैं। वे पितरों से अपने आशीर्वाद और कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।

पितृसूक्त के पाठ से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। यह सूक्त पितृदोष को दूर करने में भी मदद करता है। पितृदोष एक प्रकार का नकारात्मक प्रभाव है जो पितरों की आत्माओं के असंतोष के कारण होता है। पितृदोष के कारण व्यक्ति को जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

पितृसूक्त का पाठ श्राद्ध पक्ष में विशेष रूप से किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में, लोग अपने पितरों को याद करते हैं और उन्हें पिंडदान और अन्य कर्मकांडों द्वारा सम्मानित करते हैं। पितृसूक्त का पाठ श्राद्ध पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पितृसूक्त के पाठ के लाभ निम्नलिखित हैं:

  • पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पितृदोष दूर होता है।
  • जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  • सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

पितृसूक्त का पाठ करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि भक्त को संस्कृत का ज्ञान हो। भक्त को सूक्त का सही अर्थ और उद्देश्य समझना चाहिए।

पितृसूक्त का पाठ करने के लिए, भक्त को एकांत स्थान में बैठना चाहिए और अपने सामने पितरों की तस्वीर या प्रतिमा रखनी चाहिए। फिर, भक्त को सूक्त को ध्यान से और भक्ति के साथ पढ़ना चाहिए।

पितृसूक्त का पाठ करने से भक्तों को अपने जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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