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  • Create Date October 24, 2023
  • Last Updated October 24, 2023

परिव्रुढाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की भक्त, परिव्रुढा की प्रशंसा में लिखा गया है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में परिव्रुढा के विभिन्न रूपों और गुणों की वर्णन है।

प्रथम श्लोक:

अष्टांगयोगमभ्यास्य योगिनि रूपेण स्थिता। परिवृद्धा कृष्णचरणसेवासु सुखमाप्नुयात्॥

अनुवाद:

आठ अंगों के योग का अभ्यास करके, योगिनी के रूप में स्थित परिव्रुद्धा कृष्ण के चरण सेवा में सुख प्राप्त करें।

दूसरा श्लोक:

कृष्णभक्तेषु गमनं कृष्णभक्तिसमाधानम्। परिवृद्धा कृष्णभक्तिमार्गे सुखमाप्नुयात्॥

अनुवाद:

कृष्ण भक्तों के बीच जाना कृष्ण भक्ति की समाधान है। परिव्रुद्धा कृष्ण भक्ति मार्ग में सुख प्राप्त करें।

तीसरा श्लोक:

कृष्णचरणसेवासु धृतसर्वदम्भता। परिवृद्धा कृष्णभक्तिमार्गे सुखमाप्नुयात्॥

अनुवाद:

कृष्ण के चरण सेवा में अपना सारा दंभ छोड़ देना। परिव्रुद्धा कृष्ण भक्ति मार्ग में सुख प्राप्त करें।

चौथा श्लोक:

कृष्णभक्तिमार्गे कृतनिश्चयता। परिवृद्धा कृष्णभक्तिमार्गे सुखमाप्नुयात्॥

परिवृढाष्टकम् parivrudhashtakam

अनुवाद:

कृष्ण भक्ति मार्ग में दृढ़ निश्चय होना। परिव्रुद्धा कृष्ण भक्ति मार्ग में सुख प्राप्त करें।

पांचवां श्लोक:

कृष्णभक्तिमार्गे कृतप्रयत्नता। परिवृद्धा कृष्णभक्तिमार्गे सुखमाप्नुयात्॥

अनुवाद:

कृष्ण भक्ति मार्ग में पूरी तरह से प्रयास करना। परिव्रुद्धा कृष्ण भक्ति मार्ग में सुख प्राप्त करें।

छठा श्लोक:

कृष्णभक्तिमार्गे कृतसहनशीलता। परिवृद्धा कृष्णभक्तिमार्गे सुखमाप्नुयात्॥

अनुवाद:

कृष्ण भक्ति मार्ग में सभी कष्टों को सहन करना। परिव्रुद्धा कृष्ण भक्ति मार्ग में सुख प्राप्त करें।

सातवां श्लोक:

कृष्णभक्तिमार्गे कृतनिराशा। परिवृद्धा कृष्णभक्तिमार्गे सुखमाप्नुयात्॥

अनुवाद:

कृष्ण भक्ति मार्ग में किसी भी प्रकार की निराशा न होना। परिव्रुद्धा कृष्ण भक्ति मार्ग में सुख प्राप्त करें।

आठवां श्लोक:

कृष्णभक्तिमार्गे कृतज्ञानता। परिवृद्धा कृष्णभक्तिमार्गे सुखमाप्नुयात्॥

श्रीरुद्रकोटीश्वराष्टकम् Srirudrakotishwarashtakam

अनुवाद:

कृष्ण भक्ति मार्ग में पूर्ण ज्ञान होना। परिव्रुद्धा कृष्ण भक्ति मार्ग में सुख प्राप्त करें।

परिवृद्धाष्टकम् का पाठ करने के लाभ:

  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की भक्ति में वृद्धि करता है।
  • यह स्तोत्र भक्त को परिव्रुढा के रूप और गुणों को समझने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र भक्त को कृष्ण भक्ति मार्ग में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

परिवृद्धाष्टकम् का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या रात को सोने से पहले है। इस स्तोत्र का पाठ करते समय, मन को भगवान कृष्ण और परिव्रुढा के रूप और गुणों पर केंद्रित करना चाहिए।


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